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अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (oil) की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी का असर देश के कई शहरों में साफ तौर पर दिखा है। पिछले 24 घंटों के भीतर ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में करीब 0.5% की बढ़त देखी गई, जिससे भारत के कुछ महानगरों और राज्यों में पेट्रोल व डीजल के खुदरा रेट में बदलाव दर्ज किया गया है। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार की ओर से अब तक किसी टैक्स या एक्साइज ड्यूटी में परिवर्तन नहीं किया गया है, लेकिन तेल कंपनियों ने अपने स्तर पर कीमतों में संशोधन किया है।
दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के दाम स्थिर रहे, लेकिन कोलकाता, पटना, जयपुर, और भोपाल जैसे शहरों में पेट्रोल (Petrol) की कीमतों में 10 से 25 पैसे प्रति लीटर तक का इजाफा हुआ है। वहीं कुछ जगहों पर डीजल (Diesel) के दामों में भी 15 पैसे प्रति लीटर तक की बढ़त दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें 2-3 डॉलर प्रति बैरल और बढ़ती हैं, तो आने वाले दिनों में ईंधन की दरों में और तेजी देखी जा सकती है।
कच्चे तेल(oil) की कीमतों में मामूली वृद्धि भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी खबर न लगे, लेकिन भारत में इसका सीधा असर आम लोगों की रोजमर्रा की ज़रूरतों पर पड़ता है। आने वाले दिनों में तेल के रेट और अंतरराष्ट्रीय हालात पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।
दिल्ली-मुंबई में राहत, लेकिन कई शहरों में बढ़े दाम
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख महानगरों में पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि पटना, जयपुर, भोपाल, हैदराबाद, लखनऊ और गुवाहाटी जैसे शहरों में पेट्रोल की कीमतों में 10 से 25 पैसे और डीजल में 15 से 20 पैसे प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
तेल कंपनियों की मूल्य निर्धारण रणनीति
भारत में तेल की कीमतें हर दिन सुबह 6 बजे अपडेट होती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल (oil) की कीमत और डॉलर-रुपया विनिमय दर के आधार पर रेट तय करती हैं। फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी या वैट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन कंपनियों ने स्थानीय स्तर पर परिवहन लागत और टैक्स के अनुसार कीमतें संशोधित की हैं।
महंगाई पर पड़ सकता है असर
हालांकि यह वृद्धि बहुत बड़ी नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कच्चे तेल(oil) की कीमतें इसी तरह धीरे-धीरे बढ़ती रहीं तो यह ट्रांसपोर्ट से लेकर खाद्य आपूर्ति तक के खर्च को प्रभावित कर सकती हैं। इससे आम आदमी की जेब पर दबाव पड़ना तय माना जा रहा है।
सरकार की पैनी नजर, उपभोक्ताओं की चिंता
सरकार फिलहाल स्थिति पर नजर बनाए हुए है। सूत्रों के अनुसार, यदि कच्चे तेल (oil) की कीमतें $86 प्रति बैरल के पार जाती हैं, तो सरकार मूल्य नियंत्रण के लिए हस्तक्षेप कर सकती है। हालांकि, फिलहाल कोई राहत की घोषणा नहीं की गई है।