न्यूजीलैंड क्रिकेट ने 2025-26 सत्र के लिए अपने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की सूची जारी कर दी है। इस सूची में एक नाम खासतौर पर चर्चा में है आदित्य अशोक, जो मूल रूप से भारत के तमिलनाडु के वेल्लोर में जन्मे हैं। महज चार साल की उम्र में अपने परिवार के साथ न्यूजीलैंड चले गए आदित्य ने अपने टैलेंट और मेहनत के दम पर अब न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय टीम में जगह बना ली है।
आदित्य अशोक: भारत से न्यूजीलैंड तक का सफर
आदित्य अशोक का जन्म 5 सितंबर 2002 को भारत के वेल्लोर शहर में हुआ था। साल 2006 में उनका परिवार न्यूजीलैंड चला गया। वहीं की शिक्षा व्यवस्था और खेल संरचना में पले-बढ़े आदित्य ने ऑकलैंड के लिए घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया। वह लेग स्पिन गेंदबाजी में माहिर हैं और उन्होंने 2023 में न्यूजीलैंड के लिए T20I और ODI में डेब्यू किया।
हाल ही में उन्होंने न्यूजीलैंड ए की ओर से खेलते हुए बांग्लादेश ए के खिलाफ पांच विकेट लेकर चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा और अब उन्हें ब्लैककैप्स के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में शामिल कर लिया गया है।
अन्य नए चेहरे भी शामिल
आदित्य के अलावा कई युवा खिलाड़ियों को इस बार सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा बनाया गया है, जिनमें खास नाम हैं:
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मिचेल हे – विकेटकीपर-बल्लेबाज, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 99* रन बनाए और T20I में विकेटकीपर के तौर पर वर्ल्ड रिकॉर्ड 6 शिकार किए।
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मुहम्मद अब्बास – 21 वर्षीय ऑलराउंडर, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू पर 26 गेंदों में सबसे तेज अर्धशतक लगाया और मोहम्मद रिजवान का विकेट भी लिया।
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जैक फॉल्क्स – युवा ऑलराउंडर, जिन्होंने चोटिल एडम मिल्ने की जगह लेकर टी20 में शानदार प्रदर्शन किया।
NZC CEO का बयान
न्यूजीलैंड क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्कॉट वीनिन्क ने नए खिलाड़ियों के चयन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा:
“मिच, मुहम्मद, आदित्य और जैक के साथ यह अनुबंध न्यूजीलैंड की क्रिकेट व्यवस्था से उभर रही अविश्वसनीय प्रतिभा को दर्शाता है। ये खिलाड़ी दिखा चुके हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं और ब्लैककैप्स के लिए खेलने की उनकी भूख बेहद प्रेरणादायक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ये युवा खिलाड़ी न्यूजीलैंड क्रिकेट का भविष्य हैं और इनके साथ टीम का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।
आदित्य अशोक की कहानी उन हजारों प्रवासी भारतीयों के लिए प्रेरणा है, जो विदेशों में रहकर अपने सपनों को पंख देते हैं। भारत में जन्म लेकर न्यूजीलैंड में राष्ट्रीय पहचान बनाना आसान नहीं था, लेकिन आदित्य ने इस राह को चुनौतियों से लड़कर संभव बनाया।
उनकी यह उपलब्धि ना केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह एक संकेत है कि क्रिकेट अब सीमाओं से परे एक वैश्विक खेल बन चुका है, जहाँ प्रतिभा किसी एक देश की मोहताज नहीं होती।