नई दिल्ली, देशभर में CORONA के मामलों में एक बार फिर से हल्की लेकिन सतत वृद्धि देखी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्तमान में 3,207 सक्रिय कोविड-19 मामले हैं, जबकि बीते 24 घंटों में 20 मरीजों की मौत हुई है। चिंता की बात यह है कि केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्य फिर से संक्रमण के केंद्र बनते जा रहे हैं, जहां कुल मामलों का लगभग 60 प्रतिशत दर्ज किया गया है।

इन आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकारों को सतर्क कर दिया है। जबकि अभी यह स्थिति पहले जैसी गंभीर नहीं मानी जा रही, विशेषज्ञों का कहना है कि इसे हल्के में लेना उचित नहीं होगा।

मैसूर में बुजुर्ग की मौत से बढ़ी चिंता

कर्नाटक के मैसूर जिले में एक 63 वर्षीय बुजुर्ग की कोविड से मौत की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि मृतक को पहले से ही श्वसन संबंधी समस्याएं थीं और हाल में ही उन्हें सर्दी, बुखार और खांसी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परीक्षण में कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनकी हालत बिगड़ती गई और अंततः उनका निधन हो गया।

मैसूर के जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मृतक को पहले से अस्थमा और उच्च रक्तचाप की शिकायत थी, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर थी। स्वास्थ्य विभाग ने संपर्क में आए सभी लोगों की ट्रेसिंग शुरू कर दी है और इलाके में सतर्कता बढ़ा दी गई है।

केरल और महाराष्ट्र फिर से हॉटस्पॉट

कोविड मामलों में वृद्धि के पीछे केरल और महाराष्ट्र की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय है। दोनों राज्यों में संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। केरल में पिछले एक सप्ताह में 1,200 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं, वहीं महाराष्ट्र में यह संख्या 700 से ऊपर है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन राज्यों में उच्च जनसंख्या घनत्व, शहरीकरण और व्यापक आवागमन संक्रमण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा, मौसम में बदलाव और त्योहारों व सार्वजनिक कार्यक्रमों में भीड़भाड़ की स्थिति भी संक्रमण के फैलाव में सहायक हो रही है।

केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्क किया

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक परामर्श जारी कर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से निगरानी तंत्र मजबूत करने, कोविड टेस्टिंग बढ़ाने और अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएं सुनिश्चित करने को कहा है। मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया है कि स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को पुनः बूस्टर डोज़ देने पर विचार किया जाए।

संक्रमण की दर अभी भले ही नियंत्रण में हो, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कम परीक्षण दर और लक्षणों के बिना संक्रमित मरीजों के कारण वास्तविक आंकड़ा अधिक हो सकता है।

वैरिएंट पर भी नजर

CORONA वायरस के नए वैरिएंट्स पर निगरानी रखने के लिए INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium) लगातार जीनोमिक सीक्वेंसिंग कर रहा है। अब तक जो मामले सामने आए हैं, उनमें अधिकांश XBB और BA.2.86 जैसे ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट्स से संबंधित हैं। हालांकि ये वैरिएंट्स अभी तक अधिक घातक नहीं माने जा रहे, फिर भी इनकी तेजी से फैलने की क्षमता चिंता का विषय है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायरस में म्यूटेशन की प्रवृत्ति को देखते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था को चौकस रहना होगा और आम जनता को भी सतर्कता बनाए रखनी चाहिए।

क्या फिर से मास्क और दूरी जरूरी?

पिछले एक वर्ष में सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनना और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन काफी हद तक समाप्त हो गया था। लेकिन ताज़ा मामलों की बढ़ती संख्या ने एक बार फिर से इस बहस को जन्म दे दिया है कि क्या सरकार को फिर से मास्क अनिवार्य करना चाहिए।

AIIMS दिल्ली के एक वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आर. अग्रवाल का कहना है, “हम किसी भी सख्त लॉकडाउन की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना चाहिए।”

जनता की भूमिका भी अहम

सरकार द्वारा किए गए प्रयास तभी सफल होंगे जब जनता भी जिम्मेदारी निभाए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोग हल्के लक्षणों को नजरअंदाज करते रहेंगे और कोविड परीक्षण नहीं कराएंगे, तो संक्रमण का प्रसार और तेज हो सकता है।

जागरूकता और सतर्कता से ही संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सकता है। इसके लिए ज़रूरी है कि लोग सार्वजनिक स्थलों पर सतर्क रहें, खांसी-बुखार होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें और आवश्यकतानुसार कोविड जांच कराएं।

टीकाकरण की स्थिति

भारत में अब तक 220 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन डोज़ दी जा चुकी हैं। हालांकि बूस्टर डोज़ (प्रिकॉशनरी डोज़) लेने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जिन लोगों को अंतिम टीका लगे 9 महीने या उससे अधिक समय हो गया है, उन्हें पुनः टीकाकरण पर विचार करना चाहिए।

सरकार भी कुछ खास वर्गों जैसे हेल्थ वर्कर्स, बुजुर्गों और गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों के लिए बूस्टर डोज़ को फिर से प्रोत्साहित करने की योजना बना रही है।

सावधानी ही सुरक्षा

हालांकि अभी की स्थिति मार्च 2020 या 2021 जैसी नहीं है, फिर भी कोविड का यह पुनरागमन एक चेतावनी है। हमें यह समझना होगा कि वायरस पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, और हर बार यह नए रूप में सामने आ सकता है। वर्तमान में सतर्कता, जागरूकता और समय पर चिकित्सा सहायता ही सबसे बड़ा हथियार है।

यदि सरकार, प्रशासन और जनता मिलकर सचेत रहेंगे, तो एक बार फिर देश इस चुनौती को सफलतापूर्वक पार कर सकता है।

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