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नई दिल्ली : कांग्रेस ने पहलगाम (Pahalgam) अटैक पर सरकार के साथ सहयोग और आलोचना का संतुलन बनाए रखा है। पार्टी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई, लेकिन सुरक्षा चूक और जवाबदेही पर सवाल उठाकर सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा रही हैै औैर केंद्र सरकार की ढलमुल नीतियों के खिलाफ खुलकर मोर्चबंदी जारी हैै। कुछ नेताओं के बयानों से विवाद हुआ, जिसे पार्टी ने अनुशासनात्मक कदमों से नियंत्रित किया। ठोस कदमों में प्रदर्शन, संसद सत्र की मांग, और पीड़ितों से संपर्क उल्लेखनीय रहे। हालांकि, पार्टी की कुछ मांगें (जैसे संसद सत्र) अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत और दर्जनों के घायल होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ खडी हुई लेकिन भाजपा के नेेताओं ने राजनीति जारी रखी। एक संगठित मोर्चाबंदी शुरू की है। इस दर्दनाक घटना को लेकर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर सुरक्षा चूक और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने हमले की तीव्र निंदा की और इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया। पार्टी ने इसे देश की एकता पर हमला बताया और शोकाकुल परिवारों के साथ एकजुटता जताई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हमले को “कायराना” और “हृदयविदारक” बताया, साथ ही सरकार से जवाबदेही और ठोस कार्रवाई की मांग की कांग्रेस ने हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा बताया। पार्टी ने हिंदुओं को निशाना बनाए जाने को सोची-समझी साजिश करार दिया और शांति बनाए रखने की अपील की। पार्टी ने अमरनाथ यात्रा जैसे आयोजनों की सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने की मांग की।
सीज फायर और सुरक्षा में चूक पर सवाल
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सुरक्षा में चूक का आरोप लगाया। कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने गृह मंत्री और खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने सर्वदलीय बैठक में सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान और कार्रवाई की मांग की। वहीं सीज फायर मे अमेरिकी राष्टपति ट्रंप की ओर सेे घोषणा औैर मोदी सरकार के रुख का खुलकर विरोेध किया। सोशल मीडिया पर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंंदिरा गांधी का वीडियो जमकर चला। इसी का परिणाम रहा कि सीज फायर की अमरीकी घोेष्णा को केंद्र सरकार तीन दिनों बाद दमदारी से खारिज करने पर मजबूर हुई।
पार्टी अनुशासन पर कडें कदम उठाए
नेताओं (जैसे विजय वडेट्टीवार, सिद्धारमैया) के विवादास्पद बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा, जिसके बाद राहुल गांधी और खड़गे ने नाराजगी जताई। कांग्रेस ने नेताओं को पार्टी लाइन (CWC प्रस्ताव) का पालन करने का निर्देश दिया और अनुचित टिप्पणियों को अनुशासन भंग माना। एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट (पीएम को “गायब” बताने वाला) हटाया गया। जबकि अनुुशासित मानी जाने वाली भाजपा में इस तरह की रोकटोक या सख्ती देेखने को नहीं मिली।
सर्वदलीय औैर सीडब्ल्यूसी बैठकों में सक्रिय
कांग्रेस ने सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी शामिल हुए। पार्टी ने हमले की निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया और सरकार के कदमों का समर्थन करने की बात कही। 24 अप्रैल 2025 को CWC की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और पार्टी का आधिकारिक रुख तय किया गया। इस बैठक में ठोस सुरक्षा उपायों और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर जोर दिया गया। CWC ने प्रस्ताव पारित कर आतंकवाद के खिलाफ सरकार के साथ एकजुटता जताई।
संसद के विशेेष सत्र की मांग
संसद के विशेष सत्र की मांग मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की ताकि आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक संकल्प व्यक्त किया जा सके। इस मांग को राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने समर्थन दिया। पार्टी ने 1994 के PoK प्रस्ताव को दोहराने की मांग उठाई।
प्रदर्शन और जनसंपर्क में अग्रणी
भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) ने उदय भानु चहल के नेतृत्व में दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन के सामने विरोध प्रदर्शन किया।[ राहुल गांधी ने पीड़ित परिवारों और घायलों से मुलाकात की और कैंडल मार्च निकालकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी। राहुल गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक कर्रा से बात कर स्थिति की जानकारी ली। कांग्रेस ने भारत की सैन्य कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” (पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला) का खुला समर्थन किया और सरकार व सेना के साथ एकजुटता जताई। कांग्रेस ने पीड़ित परिवारों को न्याय और सहायता का आश्वासन दिया। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन पर निर्भर लोगों की आजीविका की रक्षा की मांग की।
जिग्नेश मेवाणी ने उठाए तीखे सवाल
कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने बयान जारी कर कहा: “जब पुलवामा जैसा हमला हुआ था तब भी सरकार ने जवाब देने में देरी की थी, अब पहलगाम में 26 निर्दोष लोग मारे जाते हैं और सरकार खामोश क्यों है? देश की सुरक्षा के मुद्दे पर पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य है। जनता को सच जानने का हक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर सरकार को राजनीतिक चुप्पी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संवाद की शुरुआत करनी चाहिए।
रणदीप सुरजेवाला ने भी किया था तीखा हमला
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा: “जब देश के नागरिक मारे जाते हैं, तब प्रधानमंत्री विदेश दौरों पर व्यस्त क्यों हैं? क्या हमले की कोई जिम्मेदारी तय की गई है? क्या आतंकी ठिकानों पर कोई ठोस कार्रवाई हुई है । उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरी चूक बताया और कहा कि सरकार को इस पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
सेना भारतीय है, जातिवादी नहीं : अजय राय
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “सेना में जो भी वर्दी पहनता है, वह भारत का सच्चा सिपाही होता है। उनकी जाति नहीं, उनका पराक्रम और देशभक्ति मायने रखती है। सेना को जाति के चश्मे से देखना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि राष्ट्रीय एकता पर चोट है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि देश की सुरक्षा में तैनात जवानों का सम्मान करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, और नेताओं को अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए, खासकर जब बात सेना से जुड़ी हो।
सरकार को घेरते हुए कांग्रेस के 6 प्रमुख सवाल
- हमला कैसे हुआ, जब खुफिया इनपुट पहले से था?
- आतंकी इलाके में कैसे घुसे?
- सुरक्षा बलों की तैनाती इतनी कमजोर क्यों थी?
- क्या कोई मंत्री ज़िम्मेदार माना गया?
- क्या यह खुफिया तंत्र की विफलता नहीं?
- प्रधानमंत्री या गृहमंत्री की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक क्यों नहीं आई?