ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री डेविड लैमी (David Lammy) हाल ही में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे हैं। यह दौरा क्षेत्र में बढ़ते तनाव और हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम (सीजफायर) के संदर्भ में बेहद अहम माना जा रहा है।

लैमी (David Lammy)  ने अपने दौरे के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम की खुलकर तारीफ की। उन्होंने इसे “बेहद स्वागत योग्य कदम” बताया और दोनों देशों से इस समझौते को बनाए रखने का आग्रह किया। उनका मानना है कि तनाव में कमी लाना सभी पक्षों के हित में है।

सीजफायर के पीछे अमेरिकी भूमिका

10 मई को अमेरिका की मध्यस्थता के बाद यह संघर्ष विराम हुआ था, जब कश्मीर में एक आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया था। हालांकि यह एक सकारात्मक पहल थी, लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही कश्मीर में धमाके और गोलीबारी की खबरें सामने आईं, जिससे लोगों के मन में संदेह पैदा हुआ कि यह समझौता कितना टिकाऊ होगा।

 लैमी की कूटनीतिक बातचीत

अपने दौरे के दौरान लैमी (David Lammy) ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से बातचीत की। उन्होंने दोनों पक्षों से मौजूदा संधियों का सम्मान करने की अपील की, खासकर सिंधु जल संधि के मुद्दे पर, जिसे हाल ही में पाकिस्तान ने निलंबित कर दिया है और इसे भारत की ओर से उकसावे की कार्रवाई माना है।

 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ब्रिटेन के साथ-साथ अमेरिका, यूरोपीय संघ, जर्मनी और सऊदी अरब जैसे कई देशों ने इस संघर्ष विराम का स्वागत किया है। इन देशों का कहना है कि यह कदम दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता की दिशा में एक अहम पहल हो सकता है।

चिंता के बिंदु

हालांकि सीजफायर की घोषणा हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद कश्मीर में हिंसा की घटनाएं जारी हैं। इन घटनाओं ने संघर्ष विराम की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 लैमी का अंतिम संदेश

अंत में डेविड लैमी (David Lammy) ने ज़ोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान को मौजूदा विवादों को बातचीत के ज़रिए सुलझाना चाहिए। उनका कहना था कि केवल संवाद और सहयोग से ही इस क्षेत्र में लंबे समय तक शांति लाई जा सकती है।

 

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