उत्तराखंड सरकार ने राज्य के मदरसों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। यह पहल उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्तावित की गई है, जिसका उद्देश्य छात्रों को भारतीय सेना के साहसिक अभियानों और आतंकवाद के खिलाफ देश की दृढ़ नीति से अवगत कराना है ।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई एक निर्णायक सैन्य कार्रवाई थी, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी
इस पहल के तहत, एक मॉडल मदरसे में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) से संबंधित अध्याय को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, और इसे आगामी चरणों में राज्य के सभी 117 पंजीकृत मदरसों में लागू किया जाएगा। इससे छात्रों में देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करने और उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व से अवगत कराने की उम्मीद है ।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह जैसे सैन्य पृष्ठभूमि वाले नेताओं के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया है, जो राज्य की सैन्य परंपरा और राष्ट्रवाद को शिक्षा प्रणाली में समाहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है ।
भारत के सैन्य इतिहास में गौरवपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज होगा ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की सबसे खास बात यह रही कि इस पूरे अभियान में भारत ने सिर्फ और सिर्फ आतंकी अड्डों को ही निशाना बनाया. पाकिस्तान के किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान या नागरिक ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया. यह ऑपरेशन न केवल भारतीय सेना की तकनीकी दक्षता और सटीकता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस’ नीति पर पूरी मजबूती से कायम है. ऑपरेशन सिंदूर, भारत के सैन्य इतिहास में एक और गौरवपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है. इस अध्याय के बारे में उत्तराखंड के मदरसों के छात्र विस्तार से पढ़ेंगे..
‘ऑपरेशन सिंदूर'(Operation Sindoor) क्या है?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई एक निर्णायक सैन्य कार्रवाई थी, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।