नई दिल्ली । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Trump) एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बन गए हैं। भारत-पाकिस्तान सीज़फायर को लेकर अपना क्रेडिट लेने का दावा, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति से कड़ी बहस, और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की तेज प्रतिक्रिया — इन सबने ट्रंप के बयानों को वैश्विक बहस में बदल दिया है।

“जंग नहीं, जॉइंट बिजनेस!” — ट्रम्प का दावा

एक इंटरव्यू में ट्रम्प ने कहा:

“मैंने प्रधानमंत्री मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन नेतृत्व के साथ बातचीत की थी। हमने सीधी जंग की बजाय बिजनेस और निवेश को बढ़ावा देने की रणनीति पर जोर दिया। इससे हालात काबू में आए। मेरी नज़र में मोदी एक शानदार और मजबूत नेता हैं, जो अपने देश को आगे ले जा रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि सीमा पर तनाव को खत्म करने के लिए ‘इकोनॉमिक इंटरेस्ट’ सबसे प्रभावी हथियार साबित हुआ।

“बिजनेस से रुकी जंग” – भारत-पाक सीज़फायर पर ट्रंप का फिर दावा

डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा तनाव को उन्होंने अपने कार्यकाल में “बिजनेस डिप्लोमेसी” के ज़रिए रोका था। उन्होंने कहा:

“मैंने मोदी और पाकिस्तानी नेतृत्व से बात की थी। आर्थिक रिश्तों को प्राथमिकता देने की मेरी रणनीति ने दो परमाणु शक्तियों को युद्ध से रोका।”

ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर “महान और शक्तिशाली शख्सियत” कहा और दावा किया कि उनके हस्तक्षेप के बिना दोनों देशों में हालात और बिगड़ सकते

“ये ट्रंप की आदत है…” — पूर्व NSA ने लगाई फटकार

ट्रंप के इस बयान पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन मैक्लॉघलिन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:

“ये ट्रंप की आदत है… वह कूद जाते हैं और सारा क्रेडिट खुद ले जाते हैं। भारत-पाक का तनाव क्षेत्रीय और ऐतिहासिक है। इसमें अमेरिका की भूमिका सीमित रही है। ट्रंप की बातें अक्सर आधी सच्चाई और आधा प्रचार होती हैं।”

मैक्लॉघलिन का इशारा ट्रंप की उस प्रवृत्ति की ओर था, जहाँ वे विदेश नीति में अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, चाहे तथ्य कुछ भी कहें।

दक्षिण अफ्रीका में नया विवाद: ट्रंप vs राष्ट्रपति मकसासो

इसी बीच ट्रंप की दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रपति नोमवुयो मकसासो से एक सार्वजनिक बहस ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। एक भाषण के दौरान ट्रंप ने एक वीडियो दिखाया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि:

“दक्षिण अफ्रीका में गोरे किसानों का नरसंहार हो रहा है, और दुनिया खामोश है।”

इस पर राष्ट्रपति मकसासो ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और ट्रंप पर झूठा प्रोपेगेंडा फैलाने और “नस्लीय तनाव भड़काने” का आरोप लगाया।

ट्रंप के व्यवहार पर सवाल: क्या यह कूटनीति है या प्रचार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह तरीका “शोमैनशिप डिप्लोमेसी” है — जहाँ मुद्दों की गहराई से अधिक उनका प्रेज़ेंटेशन मायने रखता है।

“वह हर विषय में खुद को केंद्र में रखकर बात करते हैं, चाहे वह भारत-पाक हो, अफ्रीका हो या NATO,”
कहते हैं अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ प्रो. एंड्रयू हेस।

उनकी आलोचना करने वालों के मुताबिक, ट्रंप अक्सर संवेदनशील विषयों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं, और कभी-कभी इससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नुकसान भी पहुंच सकता है।

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