@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 14 से 18 जुलाई तक होगा। इसमें 5 बैठकें होंगी। यह मौजूदा विधानसभा भवन का अंतिम सत्र होगा। बजट, खाद संकट और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरेगा।

छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही एक बार फिर सुर्खियों में है। 14 जुलाई से 18 जुलाई 2025 तक चलने वाला यह मानसून सत्र सिर्फ पाँच बैठकों का होगा, लेकिन इसकी अहमियत किसी लंबी बैठक से कम नहीं है।

वित्तीय वर्ष 2025‑26 के लिए सरकार के दूसरे बजट की राह यहीं से साफ होगी, तो विपक्ष किसान और खाद संकट जैसे ज्वलंत मुद्दों पर घेरा कसने को तैयार है। रायपुर के मौजूदा विधानसभा भवन में यह अंतिम सत्र होगा। दिसंबर में शीतकालीन सत्र नवा रायपुर की नई इमारत से इतिहास रचेगा।

सिर्फ पाँच बैठकें, पर काम का दबाव ज्यादा

पिछले बजट सत्र में 17 बैठकें हुई थीं, जबकि इस बार सदन केवल पाँच दिनों में आर्थिक‑कानूनी मसौदों को पारित करने की कोशिश करेगा। वित्त मंत्री ओ. पी चौधरी के दूसरे बजट को लेकर खासी तैयारी है- पिछले साल 1 लाख 47 हजार 500 करोड़ रुपये का बजट पेश कर चुकी साय सरकार इस बार भी विकास‑केंद्रित रोडमैप सामने रखने का दावा कर रही है।

नई इमारत में नई उम्मीदें

14 जुलाई से शुरू होने वाला मानसून सत्र रायपुर स्थित मौजूदा विधानसभा भवन का आख़िरी पड़ाव है। नवंबर के राज्योत्सव में (1 नवंबर को) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नवा रायपुर की अल्ट्रा‑आधुनिक विधानसभा का उद्घाटन होगा, जिसके बाद दिसंबर का शीतकालीन सत्र वहीं से संचालित होगा। नई इमारत डिजिटल‑फर्स्ट होगी, जहाँ पूरी कार्यवाही पेपरलेस सिस्टम पर चलेगी।

खाद संकट पर गरमा सकता है सदन

धान‑प्रधान छत्तीसगढ़ में जुलाई किसानों का महीना होता है। इस बार राज्य भर में उभरे खाद संकट ने विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया है। कांग्रेस का कहना है कि 17 महीने की भाजपा सरकार खेती‑किसानी के मूल सवालों पर विफल रही है; उधर सत्ता‑पक्ष सरकारी योजनाओं और खरीफ‑पूर्व तैयारी का हवाला देकर पलटवार की रणनीति बना रहा है।

ऑनलाइन सवालों ने बदली सदन की रफ्तार

विधानसभा सचिवालय अब 95 फीसद प्रश्न ऑनलाइन प्राप्त कर रहा है। डिजिटल प्रक्रिया ने जहां विधायकों को सवाल पूछने में सहूलियत दी है, वहीं त्वरित डेटा‑शेयरिंग से मंत्रियों के जवाब भी तथ्यपूर्ण हो रहे हैं। बजट 2025 सत्र में 1,862 सवाल लगाए गए थे (943 तारांकित और 871 अतारांकित) और इस बार संख्या और भी बढ़ने की संभावना है।

साय सरकार का दूसरा बजट

साय सरकार ने 9 फरवरी 2024 को भूपेश सरकार की तुलना में 22 फीसदी ज्यादा बड़ा और अपना पहला बजट पेश किया था। यह बजट 1 लाख 47 हजार 500 करोड़ रुपये का था। इसके बाद इस साल लगातार दूसरी बार वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बजट पेश किया था। इसमें किसान सशक्तिकरण, अधोसंरचना विस्तार और युवाओं के लिए रोजगार योजनाओं पर खास फोकस किए जाने की चर्चा रही।

इसी के मद्देनजर मानसून सत्र में भी विपक्ष आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा सकता है, जबकि सरकार “विकास यात्रा” के नतीजों से अपनी उपलब्धियाँ गिनाएगी।

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