नई दिल्ली । America में उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहे लाखों विदेशी छात्रों के लिए बुरी खबर है। ट्रंप प्रशासन ने एक अहम फैसला लेते हुए स्टूडेंट वीज़ा इंटरव्यूज़ पर अस्थायी रोक लगाने की घोषणा की है। इस कदम के चलते आने वाले शैक्षणिक सत्र में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने की तैयारी कर रहे छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

रोक की वजह और प्रभाव

America स्टेट डिपार्टमेंट ने तकनीकी, प्रशासनिक और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस रोक को “टemporary suspension” बताया है। हालांकि यह साफ नहीं किया गया है कि यह रोक कितने समय तक लागू रहेगी।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दुनियाभर से छात्र, विशेष रूप से भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और नाइजीरिया जैसे देशों से, अमेरिका के विश्वविद्यालयों में दाखिला पाने के लिए वीज़ा प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं।

छात्रों में चिंता

दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों में स्थित अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में पहले से ही इंटरव्यू स्लॉट्स की भारी कमी देखने को मिल रही थी। अब इस फैसले के बाद छात्रों की चिंताएं और बढ़ गई हैं।

एक छात्र, जो अमेरिका की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में मास्टर्स प्रोग्राम में चयनित हुआ है, ने कहा:
“हमने TOEFL, GRE, SOP और अप्लिकेशन प्रोसेस में महीनों मेहनत की है। अब अगर इंटरव्यू ही नहीं होगा, तो समय पर अमेरिका पहुंच पाना मुश्किल हो जाएगा।”

यूनिवर्सिटीज भी परेशान

America की कई यूनिवर्सिटीज और कॉलेज प्रशासन ने भी इस फैसले पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में गिरावट से न सिर्फ विविधता घटेगी, बल्कि आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।

एक यूएस विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल एडमिशन अधिकारी के अनुसार:
“विदेशी छात्र हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए जरूरी हैं, खासकर रिसर्च और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। यह रोक हमारे कैंपस की वैश्विक पहचान को कमजोर कर सकती है।”

ट्रंप प्रशासन की पॉलिसी

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीति पहले से ही कठोर मानी जाती रही है। उन्होंने इससे पहले भी एच-1बी वीज़ा और अन्य वर्क वीज़ा में सख्ती की थी। स्टूडेंट वीज़ा इंटरव्यूज़ पर यह रोक उसी नीति की एक और कड़ी मानी जा रही है।

ट्रंप ने हाल ही में बयान दिया था कि अमेरिका को पहले अपने नागरिकों के लिए रोजगार और संसाधनों को सुरक्षित करना चाहिए। उनका कहना है कि “विदेशी लोगों को वीज़ा देना अब पहले जैसा आसान नहीं रहना चाहिए, चाहे वह छात्र ही क्यों न हों।”

भारत पर प्रभाव

भारत से हर साल लगभग 2 लाख छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए वीज़ा प्राप्त करते हैं। यह निर्णय सीधे तौर पर उन हजारों छात्रों को प्रभावित कर सकता है जो इस साल फॉल सेशन में दाखिला लेने वाले थे।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह रोक लंबे समय तक जारी रही तो छात्र वैकल्पिक देशों जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूरोपीय यूनियन की ओर रुख कर सकते हैं, जहां वीज़ा नीति फिलहाल थोड़ी आसान है।

आगे क्या?

America विदेश विभाग ने कहा है कि वे स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और जल्द ही नई तारीखों की घोषणा की जा सकती है। साथ ही, कुछ मामलों में ऑनलाइन इंटरव्यू या एक्सेप्शन की संभावना भी तलाशी जा रही है, लेकिन इस पर कोई औपचारिक दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं।

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