@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, कुरुद। समूचे छत्तीसगढ़ सहित कुरुद क्षेत्र में भी रेत माफिया के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि उन्होंने महानदी के किनारे ही रेत के विशाल ‘पहाड़’ खड़े कर दिए हैं। मौरीकला पेट्रोल पंप के पास अवैध रुप से विशाल रेत भंडारण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। मानसून में खनन पर प्रतिबंध लगते ही इस रेत को ऊंची कीमतों पर बेचकर करोड़ों की ‘काली कमाई’ करने की यह पूरी तैयारी है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि लाखों टन रेत का यह अवैध भंडारण किसकी नाक के नीचे और किसकी शह पर हो रहा है? सवाल है.. बेखौफ रेत माफिया पर प्रशासन आखिर मौन क्यों है.? जानते सभी है… यह सब कमीशन सेटिंग का खेल है, सड़क छाप नेता से लेकर ऊपर तक इनको संरक्षण है।

कहाँ और कैसे खड़े हो रहे यह ‘रेत का पहाड़’?

यह कोई छिपा हुआ खेल नहीं है, बल्कि खुलेआम चल रहा है।
कुरुद क्षेत्र के कई इलाकों में, मौरीकला, गोजी, मेघा आदि महानदी से लगे मैदानी इलाकों में  रेत के विशाल टीले देखे जा सकते हैं। सड़क किनारे खड़े ये ‘रेत के पहाड़’ खुद बयां कर रहे हैं कि यह सामान्य संग्रहण नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये का अवैध भंडारण है।

जानकार बताते हैं कि एक हाइवा ट्रक में 22 से 30 टन रेत आती है। ऐसे में इन पहाड़ों को खड़ा करने के लिए हजारों ट्रक रेत का इस्तेमाल हुआ होगा, जो एक बड़े संगठित घोटाले की ओर इशारा करता है।

करोड़ों की ‘ब्लैक-मार्केटिंग’ का खेल: क्या प्रशासन की है मिलीभगत?

रेत माफिया की यह रणनीति बहुत सोची-समझी है।

  • अवैध भंडारण:  मानसून से पहले नदियों से अवैध तरीके से रेत निकालकर उसका भंडारण करना।

  • मांग और आपूर्ति का खेल: मानसून के दौरान जब रेत का खनन पूरी तरह बंद हो जाता है, तो निर्माण कार्यों के लिए रेत की मांग बढ़ जाती है।

  • मनमानी कीमतें: इसी बढ़ी हुई मांग का फायदा उठाकर, माफिया इस भंडारित रेत को दोगुनी-तिगुनी कीमतों पर बेचते हैं, जिससे करोड़ों का मुनाफा होता है।

इस पूरे खेल में सबसे बड़ा सवाल स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग की भूमिका पर उठ रहा है। क्या अधिकारियों को इस विशाल अवैध भंडारण की जानकारी नहीं है? या फिर जान-बूझकर आँखें मूंद ली गई हैं?

सवालों के घेरे में खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन
यह पूरा मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है:

क्या इस विशाल भंडारण के लिए कोई आधिकारिक स्वीकृति दी गई है?

अगर हाँ, तो कितने रकबे और कितनी मात्रा के लिए यह स्वीकृति दी गई है?

क्या अधिकारियों ने मौके पर जाकर भंडारित रेत की मात्रा का सत्यापन किया है?

अगर यह भंडारण अवैध है, तो अब तक इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

यह जांच का विषय है कि इस अवैध खेल से सरकारी खजाने को कितने राजस्व का चूना लगाया जा रहा है और पर्यावरण को कितना नुकसान पहुँचाया जा रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस ‘रेत के साम्राज्य’ पर कब और क्या कार्रवाई करता है।

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