@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, संवाददाता तुकाराम कंसारी
राजिम। प्रयाग नगरी राजिम में रथयात्रा की धूम देखी गई, हर तरफ महाप्रभु जगन्नाथ का जय घोष हो रहा था। सुबह से ही मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। परिवार सहित देव दर्शन में जुटे रहे। मंदिर पहुंचने वाले भक्तों को गजामूंग का प्रसाद बांटा गया। लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शन तो कर ही रहे थे लेकिन साथ ही अन्य मंदिरों में भी पहुंच रहे थे जिनमें प्रमुख रूप से भगवान श्री राजीवलोचन मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, वराह अवतार मंदिर, बद्रीनारायण अवतार मंदिर, नरसिंह अवतार मंदिर, वामन अवतार मंदिर, हनुमान मंदिर, राजराजेश्वर नाथ महादेव मंदिर, दान दानेश्वर नाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, सूर्य देव मंदिर, भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, पंचेश्वर नाथ महादेव मंदिर, पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर, लोमस ऋषि आश्रम, बाबा गरीब नाथ महादेव मंदिर, सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर, संत कवि पवन दीवान आश्रम, लक्ष्मी नारायण मंदिर, रामचंद्र देवल, छोटे राजीवलोचन मंदिर, आदिशक्ति मां महामाया मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर इत्यादि में पूजन अर्चन होती रही। घंटियों की झंकार से पूरा धर्म नगरी गूंज उठा। शाम 4:30 बजे भगवान जगन्नाथ मंदिर से निकलकर रथ में सवार हुए।  उड़ीसा से पहुंचे निशान बाजा की आवाज लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर रही थी। मंदिर के सामने रथ के पास देखते ही देखते भीड़ एकत्रित हो गया। रथ को खींचने के लिए श्रद्धालु अपनी अपनी तरफ से श्रमदान करने के लिए आतुर दिखाई दिए। पिछले साल की भांति इस बार भगवान जगन्नाथ के रूट बनाए गए थे उसी के मुताबिक रथ आगे बढ़ने लगे। धीरे-धीरे करके गायत्री मंदिर चौंक के पास बड़ी भीड़ हो गई। प्रसाद लेने के लिए श्रद्धालु टूट पड़े। कुछ लोगों ने रुमाल लेकर उसमें पैसे रख दिए और उछालकर पुजारी के पास पहुंचायें। जिस ओर से रुमाल आते उसमें से रूपए पैसे को निकालकर भगवान में चढ़ा देते और गजामूंग का प्रसाद बांधकर उसी ओर बढ़ा रहे थे इससे आसानी से लोगों को प्रसाद उपलब्ध हो रहे थे। यहां से निकलकर आगे बढ़ते हुए पंडित सुंदरलाल शर्मा चौंक में आने जाने वाले राहगीर भी गजामूंग का प्रसाद लेते रहे। एक श्रद्धालु ने कहा कि आज मैं धन्य हो गया कि भगवान जगन्नाथ का प्रसाद मुझे प्राप्त हुआ है।

भगवान जगन्नाथ देर शाम पहुंचे मौसी के घर

तकरीबन 3 से 4 घंटे तक भगवान जगन्नाथ भ्रमण करते रहे और जनता के सुख-दुख के सहभागी बने। उनके साथ में बलभद्र और सुभद्रा भी विराजमान थे। बस स्टैंड से निकलकर गोवर्धन चौंक होते हुए महामाया चौंक में पहुंचे तो यहां ट्रैफिक जाम की स्थिति निर्मित हो गई। वहां उपस्थित सिपाहियों ने आवागमन को बहाल किया। श्रद्धालुओं का सैलाब यहां भी देखने को मिला। चौंक से होकर महामाया मंदिर पहुंचे। रात्रि विश्राम किया और फिर दूसरे दिन भ्रमण के लिए निकलेंगे। बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ इस दरमियान अपने मौसी के घर जरूर पहुंचते हैं। राजिम के रथयात्रा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे हुए थे यहां तक की गरियाबंद जिले के अलावा धमतरी, महासमुंद और रायपुर जिला के साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ से लोग दर्शन पूजन एवं यात्रा में सम्मिलित होने के लिए आए हुए थे।

आम की कीमत छू रहा आसमान

जानना होगा कि जगन्नाथ यात्रा के बाद से आम की आवक लगभग समाप्त हो जाती है। यात्रा के दिवस आम लगभग प्रत्येक घरों में पहुंचते हैं और लोग प्रसाद के रूप में पान करते हैं। आम शुक्रवार को ही अधिकतम ₹100 किलो में देखी जा रही थी और न्यूनतम 60 से ₹70 किलो निर्धारित किया गया था। और इसी के अनुसार ही लोग खरीद कर आम खा रहे थे। अन्य फलों की भी कीमत आसमान छू रही है। बताना होगा कि इस बार आंधी तूफान जोरदार आए हुए थे जिसके चलते आम के बगीचे में आम के फल पेड़ से टूट कर नीचे गिर गए थे और कच्चे में ही इन्हें बगीचे वाले बेच दिए थे। ठेलों में रखे गए सरे आम राजधानी रायपुर से लाया गया है।

सीता बावली पहुंचे श्रद्धालुगण

हर वर्ष श्रद्धालु सीता बावली पहुंचते हैं इस बार भी लक्ष्मी नारायण भगवान का दर्शन करने के उपरांत सीता बावली पहुंचकर सिढ़ी से नीचे उतरे और बावली का पानी पंचामृत के रूप में पान किया गया। अधिकतर लोग नए कपड़े पहनकर भगवान का दर्शन करने के लिए पहुंचे हुए थे। बताना होगा माघी पुन्नी मेला और जगन्नाथ यात्रा के दिन लोक नए कपड़े पहनकर दर्शन पूजन के लिए आते जाते हैं। राधा कृष्ण सहित अन्य मंदिरों में भी गजामूंग का प्रसाद वितरण किया जा रहा था। उल्लेखनीय है कि गजामूंग शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाने में असरकारक होते हैं। राजीव लोचन मंदिर के सर्वराकार चंद्रभान  सिंह ठाकुर, शिव सिंह ठाकुर, महेंद्र सिंह ठाकुर, राजेंद्र सिंह ठाकुर इत्यादि रथयात्रा के साथ ही चल रहे थे।

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