नई दिल्ली । भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता राशि देने के अपने फैसले का जोरदार बचाव किया है। IMF ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान ने लोन के लिए जरूरी सभी आर्थिक शर्तें और लक्ष्य पूरे किए हैं, इसलिए लोन की मंजूरी पूरी तरह प्रक्रियागत और वैध है।
IMF ने क्या कहा?
IMF कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर जूली कोजैक ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा:
“पाकिस्तान ने लोन प्रोग्राम के अंतर्गत निर्धारित सभी मानकों को पूरा कर लिया है। बोर्ड संतुष्ट है कि आर्थिक सुधारों और संरचनात्मक शर्तों का पालन किया गया है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया:
“IMF फंडिंग का मकसद भुगतान संतुलन को स्थिर करना होता है। यह सहायता सीधे पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास जमा होती है और इसका इस्तेमाल सरकारी बजट या सुरक्षा मामलों के लिए नहीं किया जाता।”
उन्होंने बताया कि यह समीक्षा मूल रूप से 2025 की शुरुआत में होनी थी, लेकिन पाकिस्तान द्वारा तय मानकों को जल्दी पूरा करने के कारण इसे पहले ही पूरा कर लिया गया।
भारत की आपत्ति: “लोन का हो सकता है दुरुपयोग”
IMF के इस फैसले पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार को आशंका है कि यह राशि पाकिस्तान द्वारा आतंकी संगठनों की फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था:
“पाकिस्तान IMF से मिले पैसों में से 14 करोड़ रुपये आतंकवादी मसूद अजहर जैसे लोगों को देगा। IMF को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
भारत ने IMF से अपील की थी कि जब तक पाकिस्तान की पारदर्शिता और आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण को लेकर भरोसा न हो, तब तक उसे लोन न दिया जाए।
बढ़ती शर्तें, बढ़ती चिंताएं
पाकिस्तान को यह लोन IMF के 7 अरब डॉलर के Extended Fund Facility (EFF) कार्यक्रम के तहत दिया गया है। अब तक इस प्रोग्राम के अंतर्गत पाकिस्तान को कुल 2.1 अरब डॉलर दिए जा चुके हैं।
नए 1 अरब डॉलर की किस्त के साथ IMF ने 11 नई शर्तें जोड़ दी हैं, जिससे कुल शर्तों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। इन शर्तों में शामिल हैं:
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ऊर्जा सब्सिडी में कटौती
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टैक्स वसूली में सुधार
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सरकारी संस्थाओं की निगरानी
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वित्तीय पारदर्शिता में इजाफा
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केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता
IMF ने यह भी स्वीकार किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से लोन प्रोग्राम के लक्ष्यों पर खतरा बढ़ सकता है।
IMF का भू-राजनीतिक बयान
IMF ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर हालिया हिंसक झड़पों और मौतों पर चिंता जताई है। बयान में कहा गया:
“हम दोनों देशों के बीच तनाव को लेकर चिंतित हैं और एक शांतिपूर्ण, कूटनीतिक समाधान का समर्थन करते हैं।”
इस बयान के साथ IMF ने यह स्पष्ट किया कि भारत के कार्यकारी निदेशक डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन का हालिया इस्तीफा भारत का स्वतंत्र निर्णय था, और इसका IMF की नीतियों से कोई लेना-देना नहीं है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था: संकट और समाधान
पाकिस्तान इस समय गहरी आर्थिक मंदी से गुजर रहा है:
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विदेशी मुद्रा भंडार 4.5 अरब डॉलर से भी कम
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महंगाई दर 25% के पार
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पाकिस्तान रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट पर
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लगातार बढ़ता विदेशी कर्ज और ब्याज भुगतान का दबाव
IMF द्वारा दिया गया यह लोन पाकिस्तान को आर्थिक दिवालियेपन से बचाने की दिशा में एक अस्थायी राहत जरूर दे सकता है, लेकिन इसकी दीर्घकालिक सफलता पूरी तरह नीतिगत पारदर्शिता और राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करेगी।