@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन
@गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पितईबंद रेत खदान में 9 जून 2025 को पत्रकारों पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में आज, 10 जून 2025 को सैकड़ों पत्रकार संयुक्त जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठे। इस घटना ने पत्रकारों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है, और वे आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
प्रमुख मांगें:
1. आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज : पत्रकारों ने मांग की है कि हमलावरों के खिलाफ हत्या के प्रयास (IPC धारा 307) के तहत मामला दर्ज किया जाए।
2. खनिज अधिकारी पर कार्रवाई: अवैध रेत खनन को रोकने में नाकामी के लिए जिम्मेदार खनिज अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग।
3. अवैध खदानों पर रोक: जिले में संचालित अवैध रेत खदानों को तत्काल बंद करने की मांग।
4. जिला कलेक्टर से ठोस कदम: प्रदर्शनकारी पत्रकारों का आरोप है कि जिला कलेक्टर ने इस मामले में अभी तक कोई ठोस संज्ञान नहीं लिया है, जिससे उनका आक्रोश और बढ़ गया है।
घटना का विवरण:
9 जून 2025 को गरियाबंद के पितईबंद रेत खदान में अवैध खनन की रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों पर रेत माफियाओं ने जानलेवा हमला किया। इस हमले में न्यूज़ 24 की टीम सहित अन्य पत्रकारों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। यह खदान एक महीने पहले कलेक्टर के आदेश पर बंद की गई थी, लेकिन हाल ही में यह फिर से चालू हो गई, जिसके पीछे एक स्थानीय भाजपा नेता का नाम जोड़ा जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई:
गरियाबंद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमले के कुछ घंटों बाद चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ पृथक से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की जा रही है।
पत्रकारों का आक्रोश:
पत्रकारों का कहना है कि यह हमला न केवल उनकी सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि जिले में अवैध रेत खनन के माफिया तंत्र को भी उजागर करता है। उनका आरोप है कि प्रशासन की निष्क्रियता के कारण रेत माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। धरने में शामिल पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे प्रदर्शन जारी रखेंगे।
जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरना जारी है, और पत्रकारों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं, जिसमें विपक्षी दल (कांग्रेस) ने इसे भाजपा सरकार के “कुशासन” का उदाहरण बताया है।