प्रथम विश्व युद्ध First World War (WW1)  (1914-1918) और द्वितीय विश्व युद्ध Second World War (WW2)(1939-1945) ने विश्व इतिहास को न केवल अपने विनाश से प्रभावित किया, बल्कि उन व्यक्तियों के कार्यों से भी, जिन्हें नायक Hero या खलनायक  Villain  के रूप में याद किया जाता है। नीचे दोनों युद्धों के प्रमुख नायकों और खलनायकों का विश्लेषण प्रस्तुत है।

 

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) 

सबसे बड़ा नायक: मार्शल फर्डिनेंड फोच (फ्रांस)  

प्रथम विश्‍व युदध का सबसे बड़ा नायक मार्शल फर्डिनेंड फोच (फ्रांस)  को माना जाता है। हालांंकि कुछ इतिहासकारों में मतभेेद है लेेकिन मार्शज फोच  युद्ध की रणनीति के मास्टरमाइंड थे। 1918 में “सुप्रीम एलाइड कमांडर”  बनकर उन्होंने मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस) की सेनाओं को एकजुट किया। उनकी “हंड्रेड डेज ऑफेंसिव”  ने जर्मनी को हराने में अहम भूमिका निभाई। वर्साय की संधि (1919)  के मसौदे में उनकी भूमिका थी, हालांकि बाद में उन्होंने इसे “युद्धविराम, शांति नहीं”  बताया।  वहीं कुछ इतिहासकार  डेविड लॉयड जॉर्ज (ब्रिटेन)  को युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री, संसाधन जुटाने में माहिर होने के कारण तो वुडरो विल्सन (अमेरिका) को जिन्‍होंंने “14 पॉइंट्स”  से शांति का आधार तैयार किया था को प्रथम विश्‍व युदध का सबसे बड़ा नायक मानते हैं।

 अन्‍य नायक  

 वुडरो विल्सन (संयुक्त राज्य अमेरिका): अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन ने युद्ध के अंत में “फोर्टीन पॉइंट्स” प्रस्तुत किए, जो शांति और आत्मनिर्णय के सिद्धांतों पर आधारित थे। उनकी अगुवाई में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना हुई, जिसने वैश्विक सहयोग की नींव रखी।  

टी.ई. लॉरेंस (लॉरेंस ऑफ अरेबिया, ब्रिटेन): लॉरेंस ने ऑटोमन साम्राज्य के खिलाफ अरब विद्रोह को संगठित किया, जिसने मध्य पूर्व में स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा दिया।  

सर्जेंट एल्विन यॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका): एक साधारण सैनिक, जिन्होंने म्यूज-अर्जोन की लड़ाई में अकेले 25 जर्मन सैनिकों को पकड़ा और 132 को बंदी बनाया, जिससे मित्र राष्ट्रों की जीत में योगदान दिया।  

 एडिथ कैवेल (ब्रिटेन): एक नर्स, जिन्होंने बेल्जियम में सैकड़ों मित्र राष्ट्र सैनिकों की जान बचाई। जर्मन सेना ने उन्हें फाँसी दी, लेकिन उनकी वीरता प्रेरणा बनी।  

   2. सबसे बड़ा खलनायक: कैसर विल्हेम द्वितीय (जर्मनी)   

प्रथम विश्‍व युदध का सबसे बड़ा खलनायक कैसर विल्हेम द्वितीय (जर्मनी) को माना जाता है। इसकी वजह  उसकी आक्रामक विदेश नीति  (जैसे मोरक्को संकट) और ऑस्ट्रिया को बिना शर्त समर्थन  ने युद्ध शुरू करने में भूमिका निभाई। वहीं  सेना को नागरिक सरकार से ऊपर रखा, जिससे अनावश्यक हिंसा बढ़ी  (जैसे बेल्जियम पर आक्रमण)।  युद्ध अपराधों की जिम्मेदारी जैसे जर्मन सेना द्वारा नागरिकों के नरसंहार  (जैसे रैप ऑफ बेल्जियम ) को रोकने में विफल रहना आदि ऐसे कारण हैं जिनके कारण कैसर को यह कुख्‍याति हासिल हुई।  कुछ इतिहासकार फ्रांज जोसेफ प्रथम (ऑस्ट्रिया-हंगरी)  – आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या के बाद अति-प्रतिक्रिया  देकर युद्ध भड़काया  वहीं कुुछ एरिक लुडेनडॉर्फ (जर्मन जनरल)  को मानते है क्‍योंकि इसने मानवीय युद्ध रणनीतियों  (जैसे अंधाधुंध पनडुब्बी हमले) का जमकर दुरुपयोग किया। 

 अन्‍य खलनायक 

ऑटोमन नेतृत्व (यूसुफ इज्जुद्दीन, तलत पाशा): ऑटोमन साम्राज्य ने अर्मेनियाई नरसंहार को अंजाम दिया, जिसमें लाखों अर्मेनियाई नागरिक मारे गए। इसे युद्ध के दौरान का एक बड़ा अत्याचार माना जाता है।  

युद्ध सामग्री निर्माता: कई इतिहासकारों का मानना है कि हथियार निर्माताओं और सैन्य औद्योगिक परिसर ने युद्ध को लंबा खींचने में भूमिका निभाई।  

परिणाम: प्रथम विश्व युद्ध में नायकों ने शांति और मानवीयता की रक्षा की कोशिश की, लेकिन खलनायकों की आक्रामक नीतियों और रणनीतिक गलतियों ने युद्ध को लंबा और विनाशकारी बनाया। वर्साय की संधि ने जर्मनी पर कठोर शर्तें थोपीं, जिसने बाद में द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की

 

द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945)

सबसे बड़ा नायक: विंस्टन चर्चिल (ब्रिटेन) 

विंस्टन चर्चिल 1940 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने और हम समुद्र तटों पर लड़ेंगे  जैसे भाषणों से राष्ट्र का मनोबल बढ़ाया। ब्लिट्ज (लंदन बमबारी) के दौरान अटल रहे और अमेरिका को मित्र राष्ट्रों में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई। उन्‍होने  अकेले नाज़ी जर्मनी का सामना भी  किया।  वहींअटलांटिक चार्टर (1941) और बिग थ्री(चर्चिल-रूजवेल्ट-स्टालिन) के साथ मिलकर युद्ध की दिशा तय करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई।  कुछ इतिहासकार जॉर्जी ज़ुकोव (सोवियत संघ) स्टालिनग्राद और बर्लिन की लड़ाई में जर्मनी को हराने वाले मार्शल आर  ड्वाइट आइज़नहावर (अमेरिका) D-Day (1944)  के कमांडर, जिसने यूरोप को नाज़ियों से मुक्त कराया।   

अन्‍य  नायक    

फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट (संयुक्त राज्य अमेरिका): रूजवेल्ट ने युद्ध में अमेरिकी भागीदारी को बढ़ाया और लेंड-लीज कार्यक्रम के माध्यम से मित्र राष्ट्रों को सहायता प्रदान की।  

 जॉर्जी ज़ुकोव (सोवियत संघ): सोवियत सेना के मार्शल, जिन्होंने स्टालिनग्राड और बर्लिन की लड़ाइयों में नाज़ी सेना को परास्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  

 राउल वालेंबर्ग (स्वीडन): एक राजनयिक, जिन्होंने हंगरी में हजारों यहूदियों को होलोकॉस्ट से बचाया।  

अज्ञात प्रतिरोधक: फ्रांस, पोलैंड और अन्य देशों में नाज़ी-विरोधी प्रतिरोध आंदोलनों ने साहस के साथ युद्ध में योगदान दिया।  

सबसे बड़ा खलनायक: एडॉल्फ हिटलर (जर्मनी) 

सेकंड वर्ल्‍ड वार का सबसे बडा खलनायक एडॉल्‍फ  हिटलर युद्ध का मुख्य जिम्मेदार था। उसने पोलैंड पर आक्रमण (1939) से युद्ध शुरू किया और होलोकॉस्ट (6 मिलियन यहूदियों की हत्या) जैसे जनसंहार का आदेश दिया।  नाज़ीवाद  के तहत यहूदियों, रोमा, विकलांगों को “निम्न जाति” मानकर उनका सामूहिक नरसंहार किया। वहीं स्टालिनग्राद की हार (1943) के बावजूद युद्ध जारी रखा, जिससे लाखों जर्मन नागरिक मारे गए। हिटलर का यह कदम आत्मघाती साबित हुआ।  

 अन्‍य खलनायक:    

 हिदेकी तोजो (जापान): जापान के युद्धकालीन प्रधानमंत्री, जिन्होंने पर्ल हार्बर हमले और एशिया में साम्राज्यवादी युद्ध को बढ़ावा दिया।  

हाइनरिख हिमलर (जर्मनी): नाज़ी एसएस का प्रमुख, जो होलोकॉस्ट और एकाग्रता शिविरों के लिए जिम्मेदार था।  

 जोसेफ स्टालिन (सोवियत संघ): यद्यपि स्टालिन मित्र राष्ट्रों का हिस्सा था, उनकी क्रूर नीतियों, जैसे कि पर्ज (purges) और जबरन सामूहिकरण, ने लाखों सोवियत नागरिकों की जान ली। 

परिणाम: द्वितीय विश्व युद्ध में नायकों ने मानवता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की, जबकि खलनायकों की नीतियों ने अभूतपूर्व विनाश और नरसंहार को जन्म दिया। युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की स्थापना, मार्शल प्लान, और नूरेमबर्ग ट्रायल्स ने अंतरराष्ट्रीय कानून और सहयोग को मजबूत किया। हालांकि, शीत युद्ध की शुरुआत ने विश्व को फिर से तनाव में डाल दिया।

 

 

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