विदेश मंत्री Dr. S. Jaishankar ने कोपेनहेगन में डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं और भारत-डेनमार्क के बीच ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

विदेश मंत्री ने एक्स पर लिखा पोस्ट

इस संबंध में विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कोपेनहेगन में मेरा गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन को धन्यवाद। मैंने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दीं। आतंकवाद से लड़ने में डेनमार्क के समर्थन और एकजुटता के लिए आभार। हमारी ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को आगे बढ़ाने और सहयोग को और विस्तार देने के लिए पीएम फ्रेडरिकसन के मार्गदर्शन की सराहना करता हूं।”

डेनमार्क ने वैश्विक आतंकवाद पर भारत के रुख का लगातार किया समर्थन 

बैठक के दौरान Dr. S. Jaishankar और फ्रेडरिक्सन ने आतंकवाद विरोधी सहयोग सहित आपसी चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। डेनमार्क ने वैश्विक आतंकवाद पर भारत के रुख का लगातार समर्थन किया है, जो हाल के दक्षिण एशियाई सुरक्षा घटनाक्रमों के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

भारत और डेनमार्क के बीच 2020 में शुरू हुई एक अनूठी कूटनीतिक व्यवस्था

भारत और डेनमार्क के बीच 2020 में शुरू हुई एक अनूठी कूटनीतिक व्यवस्था, ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप है, जो भारत की वैश्विक स्तर पर एकमात्र साझेदारी है। यह दोनों देशों के बीच संबंधों का आधार बन चुकी है, जिसमें सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन और जलवायु कार्रवाई पर ध्यान दिया जाता है।

    मुख्य मुद्दे जिन पर चर्चा हुई

  1. आतंकवाद के खिलाफ साझा रुख:
    दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की निंदा की और इस चुनौती से मिलकर निपटने की प्रतिबद्धता जताई। जयशंकर ने कहा कि “आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और इसके खिलाफ वैश्विक एकजुटता जरूरी है।”

  2. हरित रणनीतिक साझेदारी (Green Strategic Partnership):
    भारत और डेनमार्क के बीच हरित ऊर्जा, सस्टेनेबिलिटी, और क्लाइमेट चेंज से जुड़े क्षेत्रों में पहले से साझेदारी है। इस बैठक में दोनों देशों ने हरित हाइड्रोजन, रिन्यूएबल एनर्जी और जल प्रबंधन पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

  3. वैश्विक सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र:
    दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और स्वतंत्र नौवहन (free navigation) सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

  4. टेक्नोलॉजी और शिक्षा:
    डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी इनोवेशन में आपसी सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई। साथ ही छात्रों के एक्सचेंज प्रोग्राम को बढ़ावा देने पर सहमति बनी।

 

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