@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, रायपुर। राजधानी रायपुर से सटे बिरगांव के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूता साक्षी निषाद की मौत के मामले में बहु-प्रतीक्षित जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। इस रिपोर्ट ने स्वास्थ्य केंद्र में हुई भारी लापरवाही की परतें खोलकर रख दी हैं। शासन द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी ने अपनी जांच में अस्पताल की प्रभारी डॉ. अंजना कुमार लाल और मेल नर्स अनुपम को सीधे तौर पर दोषी ठहराया है।
यह रिपोर्ट अब कार्रवाई के लिए शासन को भेज दी गई है, जिसके बाद दोनों पर निलंबन या बर्खास्तगी जैसी बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
जांच में खुली परत-दर-परत लापरवाही
सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि प्रसव के बाद साक्षी की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन एक के बाद एक हुई गलतियों ने उसकी जान ले ली।
अत्यधिक रक्तस्त्राव: प्रसव के बाद साक्षी को गंभीर रक्तस्त्राव (Excessive Bleeding) हो रहा था, जिससे वह बेसुध हो गई थी।
विशेषज्ञ की गैरमौजूदगी: ऐसे नाजुक समय में उसे एक विशेषज्ञ डॉक्टर की तत्काल जरूरत थी, लेकिन अस्पताल में कोई भी विशेषज्ञ मौजूद नहीं था।
नर्स का दुर्व्यवहार और गलत इलाज:
आरोप है कि जब परिजनों ने मदद की गुहार लगाई, तो मौजूद मेल नर्स अनुपम ने उनसे दुर्व्यवहार किया और दर्द से तड़पती साक्षी को सिर्फ पानी पिलाने की सलाह दी। जब हालत नहीं सुधरी, तो नर्स ने बिना किसी डॉक्टर से पूछे खुद ही उसे एक इंजेक्शन लगा दिया। इस इंजेक्शन के बाद साक्षी की हालत और बिगड़ गई और उसे आंबेडकर अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
किसकी क्या थी गलती? रिपोर्ट ने किया साफ
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दोनों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है:
प्रभारी डॉ. अंजना कुमार लाल: उनकी सबसे बड़ी गलती यह थी कि उन्होंने रात की ड्यूटी में किसी महिला विशेषज्ञ डॉक्टर को तैनात नहीं किया था। साथ ही, मामला गंभीर होने के बावजूद उन्होंने केस का फॉलो-अप लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
मेल नर्स अनुपम: उसने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला लिया। परिजनों के बार-बार कहने के बावजूद उसने डॉक्टर को बुलाने की बजाय खुद ही इंजेक्शन लगा दिया, जो अंततः घातक साबित हुआ।
मामले में ट्विस्ट: आरोपी नर्स के समर्थन में उतरे थे सहकर्मी
इस मामले में एक मोड़ तब आया था जब मेल नर्स अनुपम के समर्थन में बिरगांव हेल्थ सेंटर का बाकी स्टाफ और क्षेत्र की मितानिनें सीएमएचओ कार्यालय पहुंच गई थीं। उन्होंने दावा किया था कि अनुपम लापरवाह नहीं है और उसे फंसाया जा रहा है। हालांकि, अधिकारियों की समझाइश के बाद वे वापस लौट गए थे।
अब जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उस रात गंभीर लापरवाही हुई थी, जिसकी कीमत एक महिला को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।