संवाददाता तुकाराम कंसारी

@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, नवापारा राजिम। श्रावण मास को श्रद्धा और भक्ति का पर्व माना जाता है। पूरे माह भर कांवरियों, शिव भक्तों का श्री कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में सैलाब उमड़ पड़ता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि त्रिवेणी संगम के मध्य में अंचल का प्रसिद्ध देवालय श्री कुलेश्वरनाथ मंदिर स्थापित है। यहां पर किवदंती यह है कि माता सीता वनवास काल के दौरान यहां पर रुकी थी उन्होंने अपने आराध्य भगवान शंकर के लिए हाथों से बालू से शिवलिंग का निर्माण किया था। माता सीता के हाथों की उंगलियों से पांच धाराएं बहने से पंचमुखी शिवलिंग का स्वरूप ले लिया पश्चात उन्होंने भगवान शिव जी की पूजा अर्चना की थी।जो की कुलेश्वर नाथ महादेव के नाम से जाना जाता है। पाश्चात्य पुरातत्व वेत्ता बेलगर के अनुसार इस मंदिर को आठवीं नौंवी शताब्दी का मंदिर माना गया है। इसके चंद कदमों की दूरी पर प्राकृतिक हरितिमा से आच्छादित लोमश ऋषि का आश्रम है जो की लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र है। श्री लोमश ऋषि आश्रम में विगत 30 वर्षों से भंडारे का आयोजन लगातार जारी है।

इस वर्ष भी सावन माह में श्री कुलेश्वरनाथ सेवा समिति के बैनर तले भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जो की मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं , शिवभक्तों व आम जनों के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई है साथ ही उनके रुकने ,ठहरने की व्यवस्था भी की गई है ताकि शिव भक्तों को खाने-पीने व रुकने- ठहरने में कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। भंडारे की पूरी व्यवस्था को देखने वाले राजू साहू ने एक भेंट में बताया कि बाबा के भक्तगण स्वयं यहां पर राशन सामग्री लाकर दे जाते हैं , साथ ही दानदाता से सेवा भी अपनी सेवा भी प्रदान करते हैं।जिससे हमारी व्यवस्था सुचारु रुप से संचालित हो रही है। कांवरियों व शिवभक्तों के लिए सुबह चाय व नास्ता वहीं दोपहर को भोजन की व्यवस्था समिति द्वारा की गई है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग भोजन प्रसादी ग्रहण कर रहे हैं। पूरे सावन भर यह व्यवस्था बनी रहेगी। भंडारे की व्यवस्था में समिति के सदस्य गण लगे हुए हैं।

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