@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, रायपुर/धमतरी। विशाखापट्टनम-रायपुर भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर घोटाला सामने आया है। जांच में पाया गया कि एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण और पटवारी जितेंद्र साहू, बसंती धृतलहरे और लेखराम देवांगन ने भूमाफियाओं को नियमों के खिलाफ कई गुना ज्यादा मुआवजा दिलाया। इससे सरकारी खजाने को करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

वारंट के बाद भी पुलिस के हाथ खाली

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कई बार पूछताछ के लिए नोटिस भेजे, लेकिन कोई भी पेश नहीं हुआ। इसके बाद कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया, लेकिन पुलिस अब तक सभी को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है। वारंट रिपोर्ट में पुलिस ने आरोपी के फरार होने की पुष्टि की है।

अब कोर्ट का सख्त आदेश

विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम रायपुर नीरज शर्मा ने अब सभी 6 आरोपियों को 29 जुलाई को अदालत में हाजिर होने का अंतिम आदेश जारी किया है। अगर आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ आगे सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

कैसे हुआ घोटाला..?

जांच में सामने आया कि विशाखापट्टनम-रायपुर कॉरिडोर में भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने सरकारी नियमों को ताक पर रखकर भूमि की कीमत कई गुना बढ़ा दी। इसके एवज में करोड़ों का मुआवजा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दिलाया गया। मार्च में सरकार ने इस घोटाले के बाद तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू को निलंबित कर दिया था। निलंबन से पहले वह जगदलपुर नगर निगम आयुक्त थे।

जांच में जुटा EOW और ACB

मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा EOW को सौंपा है। वहीं ACB लगातार घोटाले से जुड़े साक्ष्य इकट्ठा कर रही है। इसके बावजूद आरोपी अभी तक गिरफ्त में नहीं आए हैं।

“कुरुद में सबसे अधिक गड़बड़झाला, आठ गुणा अधिक मुआवजा”

भारतमाला 6 लेन प्रोजेक्ट में 8 गुना मुआवजे के खेल पर बवाल जारी है। अभनपुर और दुर्ग में  जहां भू-माफियाओं ने भारत सरकार के खजाने को लूटा, तो धमतरी जिले में यह कारनामा खुद सरकारी लोकसेवकों ने किया। यहां बड़े अफसरों के रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया है साथ ही, वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों के रिश्तेदारों के नाम पर बैकडेट में जमीनों की रजिस्ट्री हुई। इसके बाद मुआवजे को लेकर बंदरबांट हुई।  भारतमाला 6 लेन प्रोजेक्ट में 8 गुना मुआवजे के खेल पर बवाल जारी है। अभनपुर और दुर्ग में जहां भू-माफियाओं ने भारत सरकार के खजाने को लूटा, तो धमतरी जिले में यह कारनामा खुद सरकारी लोकसेवकों ने किया। यहां बड़े अफसरों के रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया है साथ ही, वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों के रिश्तेदारों के नाम पर बैकडेट में जमीनों की रजिस्ट्री हुई तो सत्ता के संरक्षण में राजनीति में दखल रखने वाले रसूखदारों ने भी मुआवजे गटकने में कोई कमी नहीं की या यूं कहें कि इन्ही सरपरस्ती से घोटाला हुआ है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि इतने बड़े घोटाले स्पष्ट उजागर होने के बाद कोई कार्रवाई न होना स्पष्ट संकेत है कि शासन प्रशासन तंत्र का इन्हें खुला संरक्षण है। इसके बाद मुआवजे को लेकर बंदरबांट हुई। बता दें कि धमतरी जिले में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत तकरीबन 53 किमी लंबी सड़क बननी है। कुरुद और मगरलोड में ही 25 से ज्यादा गांवों में जमीन अधिग्रहण किया गया है।
बताया जाता है कि धमतरी जिले में तो एक ही ब्लॉक में 4 गुना ज्यादा प्रभावित गांव हैं। ऐसे में अफसर, नेताओं और भू-माफियाओं ने यहां केंद्र को कितना चूना लगाया! यह जांच के बाद पता चलेगा, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर जेपी मौर्य के साथ डिप्टी कलेक्टर विभोर अग्रवाल, एसडीएम दुलीचंद बंजारे की भूमिका संदेह में आने के बाद मामले की गंभीरता बढ़ जाती है। मौर्य मई 2020 से जून 2021 तक धमतरी कलेक्टर थे।
आरोप है कि यहां कुरुद ब्लॉक में उनकी सास लक्ष्मी, ससुर लालजी, साले पीयूष, साले की पत्नी शालिनी और साली पूनम के नाम पर 0.0147, 0.0200 जैसी जमीन के सिर्फ 9 छोटे टुकड़ों पर 40 लाख से ज्यादा मुआवजा जारी हुआ है। ये 9 टुकड़े उन 2 खसरों के हैं, जिन्हें कुल 49 टुकड़ों में बांटा गया था। मूल खसरा नंबर 1545 को जहां 24 टुकड़ों और खसरा नंबर 1605 को 25 छोटे टुकड़ों में काटकर अवैध प्लाटिंग की गई थी। इसी तरह तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर विभोर के ससुराल पक्ष से सुनील अग्रवाल व अन्य खातेदारों और तत्कालीन एसडीएम दुलीचंद की भांजी रुक्मणि व अन्य के नाम पर क्रमशः 13 लाख और 67 लाख का मुआवजा निकाला जाना बताया जा रहा है।

बैकडेट में बनाए कागज ऑनलाइन में सब साफ

कुरुद, मगरलोड के जिन खसरों में गड़बड़ी सामने आ रही है, उनमें दस्तावेजों की कूटरचना भी खुलकर उजागर हुई है। नेशनल हाईवे के लिए जमीनें अधिग्रहित करने का आशय पत्र अप्रैल 2019 में जारी हुआ था। पटवारी रेकॉर्ड के मुताबिक, कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम के रिश्तेदारों समेत अन्य लोगों के नाम पर ठीक एनएच के रास्ते में आने वाली जमीनें 2019 में एनएच का आशय पत्र मिलने और प्रारंभिक सूची प्रकाशन के आसपास रजिस्टर की गईं।
वहीं ऑनलाइन पोर्टल भुइयां में इन जमीनों का नामांतरण 2021 में शो कर रहा है। मतलब साफ है कि बैकडेट में मूल दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है। जमीनों का मुआवजा भी इन्हीं अफसरों के कार्यकाल में जारी हो गया। बता दें कि कृषि भूमि को बिना डायवर्सन और अनुमति के इस तरह छोटे टुकड़ों में काटना अवैध प्लाटिंग है। मामले में तत्कालीन तहसीलदारों की भूमिका की भी संदिग्ध। उनके बिना खसरों का बटांकन संभव नहीं।

2 पटवारियों ने लगा दी 1.37 करोड़ की चपत

जमीन अधिग्रहण का आदेश आने के ठीक बाद कुरुद पटवारी पाल सिंह धुव्र ने उमरदा और सरगी गांव में ठीक एनएच के रास्ते पर पत्नी-बच्चों और रिश्तेदारों के नाम पर जमीनों के कई टुकड़ों कर 96.86 लाख रुपए का मुआवजा निकाला। इसी तरह राजस्व पटवारी जीवराखन कश्यप ने भारत माला प्रोजेक्ट के तहत परिवार की पैतृक संपत्ति भाई-भतीजा और रिश्तेदारोंं के नाम पर बांटकर 40.23 लाख निकाले।
सूत्र बताते हैं कि जब इन जमीनों की रजिस्ट्री चल रही थी, तब कोरोना का लॉकडाउन था। सब बंद था। रजिस्ट्री से जुड़े सारे काम क्षेत्र के एक कद्दावर नेता के बंगले से हो रहे थे। यूं कहें कि घर ही रजिस्ट्री दफ्तर बन गया था। उनके रिश्तेदारों के नाम पर भी मुआवजे का हेरफेर हुआ है।

अफसरों की गलती पर जनता को अल्टीमेटम

भारत माला प्रोजेक्ट में घोटाले की शिकायत सबसे पहले जुलाई 2022 में सामने आई थी। धमतरी जिले में मगरलोड के चंदना गांव में रहने वाले कृष्ण कुमार साहू ने सरकार को सबूतों के साथ चिट्ठा भेजा था। जांच जैसे-तैसे ईओडब्ल्यू तक पहुंची है। उधर, कमिश्नर ने प्रोजेक्ट को लेकर लोगों से दावा-आपत्ति मंगाई थी, जिसकी मियाद 15 मई को खत्म हो चुकी है।
शिकायतकर्ता साहू का कहना है कि गलती अफसरों ने की और अल्टीमेटम जनता को दिया जा रहा है। यह अफसरों को बचाने का तरीका है। अभी कई लोगों को अपने साथ हुई ठगी के बारे में पता भी नहीं है। दावा-आपत्ति निपटाकर प्रभावितों को भविष्य में इंसाफ मिलने से वंचित किया जा रहा है।

मैं धमतरी में कुछ समय के लिए कलेक्टर था। पुरानी बात है। आप जो बता रहे हैं, उस बारे में जानकारी नहीं है। दस्तावेज देखे बिना कुछ बता भी नहीं पाऊंगा।
जयप्रकाश मौर्य, तत्कालीन कलेक्टर
— एक-दो जगह पर गड़बड़ी मिली थी। उसकी रिपोर्ट हमने उच्चाधिकारियों को सौंप दी है। मामले में एक-दो पटवारियों पर कार्रवाई भी हो चुकी है।
– अबिनाश मिश्रा, कलेक्टर, धमतरी

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