@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, संवाददाता तुकाराम कंसारी
राजिम।पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन की खबर सुनते ही राजिम में शोक की लहर फैल गई। हर कोई एक दूसरे से फोन लगाकर कंफर्म करते रहे कि यह खबर सही है कि नहीं। मिली जानकारी के मुताबिक उनका निधन हार्ट अटैक से हो गया है। रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में इलाज चल रहा था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली है। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग व्हाट्सएप ग्रुप तथा अन्य माध्यम से गहरा दुख जताया है। उनके साथ ही लंबे समय तक मंच साझा करने वाले हास्य व्यंग्य के कवि काशीपुरी कुंदन ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है मैं दीर्घकालिक उनके साथ में रहा हूं। साहित्य मंच में एक साथ चले हैं। सुरेंद्र दुबे जी का जाना एक युग का समाप्त होना है। मंच में लोकप्रिय कवि रहे हैं यह साहित्य के लिए अपूर्णीय क्षति है। हास्य कवि संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा है कि अपनी कविताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ का नाम देश-विदेश में रोशन किया है। मंच में उनके आते ही ठहाके शुरू हो जाते थे। पहली बार निमोरा के मंच में उनके साथ में कविता पढ़ने का सौभाग्य मिला था। कवि नूतन लाल साहू ने कहा कि भगवान उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें और ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। युवा कवि तुकाराम कंसारी ने पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा दुबे जी उन्हे बहुत प्रेम करते थे। काव्य मंचों पर उनका बहुत आशिर्वाद मिला। रत्नांचल जिला साहित्य समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सुकुमार साहिर, प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन, हास्य कवि गोकुल सेन, व्यंग्यकार संतोष सेन, कवयित्री सरोज कंसारी,राकेश गुप्ता इत्यादि ने श्रद्धांजलि दी है।
डॉ. सुरेन्द्र दुबे हास्य के कोकड़ा थे : टीकमचंद सेन
प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि छत्तीसगढ़ का नाम पूरे विश्व में पहुंचने वाले पद्मश्री सुरेंद्र दुबे स्वयं में एक पहचान थे वे छत्तीसगढ़ी हास्य के कोकड़ा थे उनके बगैर छत्तीसगढ़ी साहित्य सुना सुना लगेगा जिनकी भरपाई करना मुश्किल है जिनके नाम मात्र से चेहरा खिल जाता था साहित्य जगत के इस योद्धा को पूरे प्रयाग साहित्य समिति की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि है।
इन कवियों ने यह भी बताया कि सुरेंद्र दुबे कविताओं के एक भारतीय व्यंगवादी और लेखक थे छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवियों में सुमार थे अपनी पंक्तियों के जरिए लोगों को खुश कर देते थे उन्होंने कोरोना काल में उदासी के माहौल को दूर करने के लिए कविता भी लिखी थी।