नई दिल्ली। देश के दो प्रमुख राज्यों – मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इस साल मानसून की एंट्री 14 दिन की देरी से होगी। भारत मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में बना लो प्रेशर सिस्टम (डिप्रेशन) मानसून की उत्तर-पश्चिम दिशा में प्रगति को धीमा कर रहा है, जिससे इसके आगे बढ़ने में बाधा आ रही है।
क्यों हो रही है देरी?
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने इस डिप्रेशन के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून की चाल धीमी हो गई है।
यह सिस्टम मानसून की ऊर्जा और दिशा को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप, मानसून अभी तक केरल, कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्यों तक सीमित है, जबकि इसे इस समय तक मध्य भारत और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पहुंच जाना चाहिए था।
MP-UP में मानसून की देरी: मुख्य बिंदु
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मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मानसून 14 दिन की देरी से पहुंचेगा।
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बंगाल की खाड़ी में बने डिप्रेशन की वजह से मानसून की उत्तर दिशा में प्रगति धीमी हुई।
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देशभर में अब तक औसतन 33% ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है, मुख्यतः दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में।
कहां-कहां पहुंचा मानसून?
अब तक मानसून:
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केरल, कर्नाटक, गोवा, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और बंगाल के कुछ हिस्सों तक ही पहुंच पाया है।
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उत्तर भारत, विशेषकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश, में इसकी आमद अब दूसरे या तीसरे हफ्ते में जून के अंत तक संभावित है।
देश में अब तक कितनी बारिश?
हैरानी की बात यह है कि मानसून की धीमी रफ्तार के बावजूद देशभर में अब तक औसतन 33% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण है दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी वर्षा, जिसने औसत आंकड़ों को ऊपर खींचा है।
क्या असर होगा?
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कृषि पर प्रभाव: देरी से आने वाला मानसून बुवाई के सीजन को प्रभावित कर सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां खरीफ की फसलें मानसून पर निर्भर हैं।
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गर्मी की वापसी: मध्य भारत और उत्तर भारत में अगले दो हफ्तों तक तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि मानसून से पहले राहत नहीं मिल पाएगी।
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पानी की चिंता: जलाशयों और नदियों में पानी की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है, अगर मानसून देरी से आता है या कमजोर पड़ता है।