Supreme Court के जज रिटायरमेंट के दिन आमतौर पर कोई फैसला नहीं सुनाते, लेकिन जस्टिस एएस ओका ने इस पुरानी रवायत को बदल दिया है। उन्होंने शुक्रवार को अपने आखिरी कार्यदिवस पर कई बेंचों में हिस्सा लिया और 11 फैसले दिए। ऐसा उन्होंने तब किया है, जब उनकी मां का एक दिन पहले ही निधन हुआ था।
ए.एस. ओका ने Supreme Court में अपने अंतिम कार्य दिवस पर 11 फैसले सुनाकर न्याय के प्रति अपने समर्पण का परिचय दिया. उन्होंने यह कार्य अपनी मां के निधन के अगले दिन किया, परंपराओं को तोड़ते हुए आखिरी दिन भी कोर्ट में काम किया. उन्होंने ‘सेवानिवृत्ति’ शब्द को नकारते हुए न्यायिक सेवा को जीवनभर का कर्तव्य माना. उनकी न्यायिक यात्रा, निष्ठा और सेवा भाव आने वाले न्यायाधीशों के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
सिंघवी और SG के बीच चलता रहेगा- जस्टिस ओका
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा वह फिर से एक विवादास्पद बयान दे रहे हैं, जैसा कि हर बार होता है, जब भी वह मेरा विरोध करते हैं। इस पर सीजेआई गवई ने कहा कि बेहतर होगा कि एसजी इसे वापस ले लें। फिर रिटायर हो रहे जस्टिस ओका ने कहा- डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और सॉलिसिटर जनरल के बीच हमेशा चलता रहेगा।
रिटायरमेंट के दिन 11 फैसले
जज जस्टिस अभय एस. ओका ने अपने रिटायरमेंट के दिन शुक्रवार को परंपरा तोड़ते हुए 11 महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। यह उल्लेखनीय है क्योंकि आमतौर पर Supreme Court के जज अपने अंतिम कार्यदिवस पर फैसले नहीं सुनाते। जस्टिस ओका ने अपनी मां के निधन के एक दिन बाद भी मुंबई से दिल्ली लौटकर, अपनी कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया।
‘न्यायाधीशों को दृढ़ रहना चाहिए’
जस्टिस एएस ओका ने कहा कि न्यायाधिशों को दृढ़ रहना चाहिए और किसी को अपमानित करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ एक वजह से कठोर था। मैं हमारे संविधान द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को कायम रखना चाहता था।
सलाह का पूरी तरह किया पालन- जस्टिस ओका
जस्टिस एएस ओका ने कहा कि एक बार मुझे एक न्यायाधीश ने सलाह दी थी, कि आप आप लोकप्रिय होने के लिए जस्टिस नहीं बन रहे हैं। मैंने उनकी सलाह का पूरी तरह से पालन किया। इसलिए आज अप्रत्यक्ष रूप से यह भी कहा गया कि कभी-कभी मैं कठोर हो जाता हूं।