नई दिल्ली | तमिलनाडु में 1000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) अब खुद सवालों के घेरे में है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस गवई की बेंच ने ईडी की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “ईडी देश के संघीय ढांचे की मर्यादाएं लांघ रही है।”
मामला क्या है?
मार्च 2024 में ईडी ने तमिलनाडु में कई जगहों पर छापे मारे। आरोप है कि डिस्टिलरी कंपनियों ने बेहिसाब नकदी निकालकर TASMAC (राज्य सरकार की शराब बिक्री एजेंसी) से अतिरिक्त आपूर्ति हासिल की। इस भ्रष्टाचार की जड़ में रिश्वत, एमआरपी से अधिक वसूली और ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाले शामिल बताए जा रहे हैं।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की स्थिति
मद्रास हाईकोर्ट ने ईडी की कार्रवाई को वैध माना, लेकिन तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि यह “चुनाव के समय छवि खराब करने की कोशिश” है। CJI ने ईडी से सवाल किया कि बिना ठोस आधार के इतने बड़े स्तर पर कार्रवाई क्यों की जा रही है।
TASMAC की दलीलें
TASMAC का कहना है कि ईडी ने ‘विश्वास करने के कारण’ नहीं बताए और कोई स्पष्ट अनुसूचित अपराध दर्शाए बिना ही उनके मुख्यालय में तलाशी ली गई। उनका आरोप है कि यह राजनीतिक रणनीति है और ईडी को जांच का अधिकार तभी होता है जब PMLA के तहत कोई अपराध दर्ज हो।
ईडी का पक्ष
ईडी ने कोर्ट में बताया कि राज्य पुलिस की 41 FIRs के आधार पर कार्रवाई हुई है। अधिकारियों पर रिश्वतखोरी, शराब की कीमतों में हेराफेरी और पदस्थापन में भ्रष्टाचार के आरोप हैं। एजेंसी ने दलील दी कि सिर्फ संदेह भी तलाशी का आधार हो सकता है।