@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन विशेष रिपोर्ट

प्रधान संपादक सतीश शर्मा 

रायपुर। एक ओर अपने शासन में जीरो टॉलरेंस का दावा करती दिखती केंद्र सरकार वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक सरकार के कथित भ्रष्टाचार का मामला थम नहीं रहा है। पहले ही नकली शराब, अवैध खनिज उत्खनन, खनिज और भू माफियाओं के राज से लेकर बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और ट्रांसफर एजेंसी चलाने जैसे विपक्ष के संगीन आरोपों से घिरी छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की सरकार के ढोल का पोल तब खुल गया जब  तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की 17 सूत्रीय मांगों को लेकर जारी आंदोलन के बीच सोशल मीडिया पर प्रमोशन के नाम पर कथित लेन देन का खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं विभागीय मंत्री और सचिव तक ‘किलो में प्रसाद’ और ‘नारियल’ चढ़ाने की बात हुई है। वायरल व्हाट्सएप चैट ने प्रशासनिक हलचल मचा दी है। इस चैट में ‘नारियल’ और ‘किलो’ जैसे कोड वर्ड्स का इस्तेमाल कर प्रमोशन और कथित कलेक्शन की बात होने का दावा किया गया है।

‘50-50’ ग्रुप का नाम और ‘नारियल’ की डिलीवरी की चर्चा

वायरल स्क्रीनशॉट के मुताबिक, ‘50-50’ नामक एक ग्रुप में ‘Tehsildar’ और ‘Sir Tehsildar’ नाम से यूजर्स जुड़े हुए हैं। चैट में दावा किया गया है कि:

“कैबिनेट बैठक से पहले नारियल पहुंचाना जरूरी है।”

“अगर नारियल और किलो समय पर नहीं पहुंचे, तो प्रमोशन लटक सकता है और दो साल जूनियर रहना पड़ेगा।”

इतना ही नहीं, चैट में यह भी चर्चा है कि एक फाइल आगे बढ़ाने के लिए ‘प्रसाद चढ़ाने’ की योजना बनाई गई। इसने पूरे राजस्व विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

“मौके का फायदा उठाओ” – चैट का संदिग्ध हिस्सा

वायरल मैसेज में कुछ तहसीलदारों द्वारा “मौके का फायदा उठाने” जैसी लाइन लिखी गई है, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि प्रमोशन के लिए कथित रूप से आर्थिक लेन-देन की चर्चा हो रही थी।

संघ का बयान – “यह सब अफवाह है”

छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के प्रांताध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने इन चैट्स को पूरी तरह अफवाह बताया। उनका कहना है:

> “आंदोलन के समय ऐसे भ्रामक संदेश फैलाए जाते हैं। वास्तविकता यह है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।”

 

तहसीलदारों का 17 सूत्रीय आंदोलन

तहसीलदार और नायब तहसीलदार इन मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं:

  • 1. डिप्टी कलेक्टर प्रमोशन अनुपात 50:50 बहाल करना।
  • 2. नायब तहसीलदार पद को राजपत्रित दर्जा देना।
  • 3. हर तहसील में स्थायी स्टाफ, शासकीय वाहन, ड्राइवर और ईंधन की सुविधा देना।
  • 4. न्यायिक सुरक्षा अधिनियम का अनुपालन।

वायरल चैट ने बढ़ाया विवाद

हालांकि अभी चैट का जांच नहीं हुआ है, लेकिन वास्तविक रूप से इस विश्वस्त वायरल चैट को नकारा नहीं जा सकता।  इस पर जांच नहीं हुई है, लेकिन यह वायरल होते ही सरकार और प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोपों की परछाई छोड़ गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर यह चैट असली साबित हुई, तो प्रमोशन और ट्रांसफर में कितनी गहराई तक भ्रष्टाचार फैला है?

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