नई दिल्ली । पाकिस्तान में सेना के प्रभाव को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवादों के बीच एक बड़ा फैसला सामने आया है। सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir) को देश का दूसरा फील्ड मार्शल बनाया गया है — एक ऐसा रैंक जो अब तक केवल एक व्यक्ति, जनरल अयूब खान को मिला था, जिन्होंने बाद में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर खुद सत्ता संभाली थी।
क्या है फील्ड मार्शल का रैंक?
फील्ड मार्शल की रैंक किसी भी सैन्य अधिकारी को सर्वोच्च दर्जा देती है। यह एक प्रतीकात्मक और स्थायी रैंक होती है, जो आमतौर पर युद्ध में असाधारण नेतृत्व या रणनीतिक सफलता पर दी जाती है। पाकिस्तान में यह रैंक अब तक सिर्फ एक बार दी गई थी — 1958 में अयूब खान को, जिन्होंने बाद में देश में पहला सैन्य शासन लागू किया।
आलोचना क्यों हो रही है?
आसिम मुनीर को यह पदोन्नति ऐसे समय में दी गई है जब पाकिस्तान में:
- राजनीतिक अस्थिरता चरम पर है
- चुनावों में धांधली और सेना के दखल के आरोप लग चुके हैं
- मीडिया पर सेंसरशिप लगातार बढ़ रही है
- आर्थिक संकट ने आम जनता की ज़िंदगी मुश्किल कर दी है
विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से सेना को न सिर्फ प्रतीकात्मक शक्ति मिली है, बल्कि यह भविष्य में राजनीतिक हस्तक्षेप और सत्ता पर पकड़ को और मजबूत कर सकता है।
लोकतंत्र की ओर या पीछे?
जहां एक ओर पाकिस्तान खुद को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में पेश करता है, वहीं फील्ड मार्शल जैसी सैन्य पदवी का दोबारा इस्तेमाल यह संकेत देती है कि असली ताकत अब भी सेना के पास केंद्रित है।भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस निर्णय को लेकर चिंता जताई जा रही है कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थाओं को पीछे धकेल कर सेना का वर्चस्व और गहरा किया जा रहा है।