हाल ही में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष Rahul Gandhi का एक बयान राजनीतिक गलियारों में तेजी से चर्चा का विषय बना हुआ है। भोपाल में पार्टी के एक संगठनात्मक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने एक बेहद प्रतीकात्मक और तीखाी प्रतिक्रिया दी है I

“अब समय आ गया है कि रेस के घोड़े, बारात के घोड़े और लंगड़े घोड़े को अलग किया जाए…”

इस बयान के बाद राजनीतिक विश्लेषकों, मीडिया और खुद कांग्रेस पार्टी में हलचल तेज हो गई है। राहुल गांधी ने न केवल पार्टी की आंतरिक स्थिति पर गहराई से सवाल उठाए, बल्कि संगठन में निष्क्रियता, दिखावे और रुकावटों को दूर करने की जरूरत पर भी बल दिया।

 क्या है ‘रेस’, ‘बारात’ और ‘लंगड़ा’ घोड़े का मतलब?

 Rahul Gandhi ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को तीन प्रतीकात्मक श्रेणियों में बांटा:

1. रेस के घोड़े:

  • ये वे कार्यकर्ता या नेता हैं जो पूरा दमखम लगाकर संगठन के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

  • चाहे चुनाव प्रचार हो, जनता से संपर्क हो, या संगठन को मजबूत करना – ये लोग मैदान में सक्रिय रहते हैं

  •  Rahul Gandhi का इशारा था कि ऐसे ही लोग पार्टी को आगे ले जा सकते हैं।

2. बारात के घोड़े:

  • ये प्रतीक है उन नेताओं/कार्यकर्ताओं का जो सिर्फ दिखावे के लिए सक्रिय हैं।

  • मंच पर दिखना, मीडिया में बयान देना, फोटो खिंचवाना – लेकिन असल कार्य में इनकी भागीदारी नहीं होती।

  • राहुल के अनुसार, ये सिर्फ सजे-धजे लेकिन निष्क्रिय चेहरे हैं।

3. लंगड़ा घोड़ा:

  • यह वर्ग सबसे खतरनाक माना गया। ये वे लोग हैं जो ना तो खुद काम करते हैं और ना दूसरों को करने देते हैं।

  • पार्टी में अड़चन डालते हैं, संगठनात्मक कामकाज में रुकावट बनते हैं, और अन्य सक्रिय कार्यकर्ताओं को भी तंग या हतोत्साहित करते हैं।


इस बयान का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

 Rahul Gandhi का यह बयान केवल प्रतीकों का खेल नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक स्पष्ट और गहरा राजनीतिक व संगठनात्मक संदेश छुपा है।

1. संगठन में जवाबदेही तय करने की कोशिश:

  •  Rahul Gandhi यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अब कांग्रेस पार्टी में कर्म के आधार पर ही मान्यता मिलेगी, केवल पद या प्रतिष्ठा काफी नहीं।

2. निष्क्रियता और दिखावे की राजनीति खत्म करने की चेतावनी:

  • ऐसे नेता जो वर्षों से संगठन में सिर्फ नाम के लिए मौजूद हैं, पर जमीन पर कोई काम नहीं करते – उन्हें अब चेतावनी दी गई है।

3. कार्यकर्ताओं की वास्तविक क्षमता को मान्यता:

  • उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में काबिल और विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है, लेकिन उनकी आवाज संगठन में दबा दी जाती है।

“आपके हाथ बंधे हुए हैं” – कार्यकर्ताओं की हताशा की ओर इशारा

 Rahul Gandhi  ने यह भी स्वीकार किया कि कांग्रेस संगठन में कई ऐसे कार्यकर्ता हैं जिनके पास बीजेपी से लड़ने की क्षमता और प्रतिबद्धता है, लेकिन:

“आपके हाथ बंधे हुए हैं, आपकी आवाज संगठन में नहीं सुनी जाती।”

यह बयान कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र की स्थिति को दर्शाता है:

  • कई बार जमीनी कार्यकर्ताओं को पार्टी नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचाने का मौका नहीं मिलता

  • वरिष्ठ नेताओं के प्रभाव, गुटबाज़ी और सिफारिश की संस्कृति के कारण योग्य लोग पीछे छूट जाते हैं

 क्या यह कांग्रेस में सुधार की शुरुआत है?

 Rahul Gandhi पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस को आधुनिक, पारदर्शी और लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में बदलने की बात करते रहे हैं। यह बयान उसी विचारधारा की अगली कड़ी लगता है। यह बदलाव यदि व्यवहार में आता है, तो:

  • कार्यकर्ताओं को प्रतिष्ठा और अवसर मिलेंगे।

  • पार्टी में नया उत्साह और विश्वास पैदा होगा।

  • जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष तक निष्पक्षता आएगी।

 पार्टी के भीतर और बाहर कैसी रही प्रतिक्रिया?

  • कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता इस बयान को सकारात्मक रूप से ले रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि अब ईमानदार मेहनत करने वालों को जगह मिल सकती है।

  • वहीं, कुछ वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी जो लंबे समय से निष्क्रिय हैं, इस बयान से असहज हो सकते हैं।

  • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर राहुल इस सोच को लागू कर पाते हैं, तो यह कांग्रेस की रणनीति में गंभीर बदलाव का संकेत होगा।

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