नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिल सकता है। रोजर बिन्नी, जो वर्तमान में BCCI के अध्यक्ष हैं, उन्होंने आयु सीमा (Age Limit) पूरी कर ली है, जिससे उनके कार्यकाल का अंत निकट है। इसी के चलते छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और अनुभवी क्रिकेट प्रशासक राजीव शुक्ला को बीसीसीआई का कार्यवाहक अध्यक्ष (Acting President) बनाए जाने की संभावनाएं बेहद मजबूत हो गई हैं।
यह फैसला न केवल क्रिकेट प्रशासन के लिहाज़ से अहम है, बल्कि इसका असर भारतीय क्रिकेट के भविष्य और प्रबंधन शैली पर भी पड़ सकता है।
कौन हैं राजीव शुक्ला?
राजीव शुक्ला भारतीय राजनीति और क्रिकेट प्रशासन, दोनों ही क्षेत्रों में एक जाना-पहचाना नाम हैं।
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पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
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पद: राज्यसभा सांसद (छत्तीसगढ़ से)
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क्रिकेट प्रशासन अनुभव:
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पूर्व आईपीएल चेयरमैन
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बीसीसीआई उपाध्यक्ष
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उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़ाव
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राजीव शुक्ला लंबे समय से BCCI की गतिविधियों से जुड़े रहे हैं और उन्हें क्रिकेट के प्रशासनिक पहलुओं की अच्छी समझ है।
रोजर बिन्नी क्यों नहीं रह पाएंगे अध्यक्ष?
BCCI के संविधान के मुताबिक, किसी भी पदाधिकारी की अधिकतम आयु 70 वर्ष निर्धारित है। रोजर बिन्नी इस उम्र सीमा को पार कर चुके हैं, और अब उन्हें पद छोड़ना होगा।
रोजर बिन्नी 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे हैं और उन्होंने अध्यक्ष के रूप में BCCI के कई अहम फैसलों में भूमिका निभाई। हालांकि अब उनकी जगह किसी नए चेहरे को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
क्यों चुना गया राजीव शुक्ला को?
राजीव शुक्ला को BCCI में एक संतुलित, अनुभवी और कूटनीतिक प्रशासक के रूप में जाना जाता है। उनकी नियुक्ति के पीछे कई कारण हैं:
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लंबा प्रशासनिक अनुभव
शुक्ला IPL चेयरमैन रह चुके हैं और विवादों के समय बोर्ड को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी। -
राजनीतिक पहुंच और संतुलन
भले ही वे कांग्रेस से हैं, लेकिन उनके संबंध सभी दलों के नेताओं से अच्छे हैं, जिससे क्रिकेट प्रशासन में वे सबका विश्वास जीतने में सक्षम रहे हैं। -
BCCI में वरिष्ठता और विश्वसनीयता
वह वर्तमान में BCCI के उपाध्यक्ष हैं, जिससे कार्यवाहक अध्यक्ष पद के लिए वे स्वाभाविक उम्मीदवार माने जा रहे हैं।
कार्यवाहक अध्यक्ष की भूमिका क्या होगी?
जब तक BCCI की AGM (Annual General Meeting) में स्थायी अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं हो जाते, तब तक राजीव शुक्ला को बोर्ड के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस दौरान वे:
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बोर्ड की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे
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टीम चयन और विदेशी दौरों से संबंधित फैसलों में भाग लेंगे
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IPL और घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट्स की निगरानी करेंगे
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वित्तीय मामलों और राज्य संघों से समन्वय बनाएंगे
क्या वह स्थायी अध्यक्ष भी बन सकते हैं?
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि शुक्ला स्थायी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे या नहीं। हालांकि अगर वे कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और बोर्ड में समर्थन हासिल करते हैं, तो उनकी स्थायी नियुक्ति की राह आसान हो सकती है।
क्रिकेट एक्सपर्ट्स की राय
क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि राजीव शुक्ला का अध्यक्ष बनना BCCI के लिए एक स्थिरता लाने वाला कदम हो सकता है।
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हरभजन सिंह (पूर्व क्रिकेटर): “राजीव शुक्ला को क्रिकेट प्रशासन की अच्छी समझ है। उनकी नियुक्ति से बोर्ड को फायदा होगा।”
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आकाश चोपड़ा (कमेंटेटर): “वह विवादों को संभालने में माहिर हैं। IPL जैसे जटिल टूर्नामेंट में उनका अनुभव काम आएगा।”
बीसीसीआई का आगे का रोडमैप
BCCI के सामने आने वाले महीनों में कई बड़ी चुनौतियाँ हैं:
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T20 वर्ल्ड कप 2026 की तैयारियां
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घरेलू क्रिकेट को और सशक्त बनाना
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महिला क्रिकेट में सुधार और विस्तार
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IPL की नई टीमों और ब्रॉडकास्टिंग डील्स का प्रबंधन
राजीव शुक्ला जैसे अनुभवी प्रशासक के आने से इन कार्यों को स्थायित्व मिल सकता है।
राजीव शुक्ला का BCCI के कार्यवाहक अध्यक्ष पद पर आना लगभग तय माना जा रहा है। यह नियुक्ति भारतीय क्रिकेट के लिए एक नया अध्याय हो सकती है।
जहां एक ओर रोजर बिन्नी ने अपनी भूमिका पूरी गरिमा और शांतिपूर्वक निभाई, वहीं राजीव शुक्ला जैसे अनुभवी प्रशासक के आने से BCCI को एक सशक्त नेतृत्व मिलने की उम्मीद है। आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वह बोर्ड के संचालन में कैसे संतुलन बनाए रखते हैं।