जम्मू-कश्मीर : हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद राज्य सरकार ने एक अहम और साहसिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य कैबिनेट की बैठक अब राजधानी श्रीनगर से बाहर, पहलगाम और गुलमर्ग जैसे प्रमुख पर्यटक स्थलों पर आयोजित की जाएगी। यह निर्णय सरकार द्वारा लोगों में विश्वास बहाल करने, पर्यटन को पुनर्जीवित करने और सुरक्षा का भरोसा जताने की रणनीति का हिस्सा है।
पर्यटकों और स्थानीयों में भरोसा बहाल करने की कोशिश
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य है – पर्यटकों और आम नागरिकों में विश्वास पैदा करना। सरकार यह दिखाना चाहती है कि कश्मीर सुरक्षित है और आतंकी घटनाओं से डरने की जरूरत नहीं है। यह एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक कदम है जिससे घाटी में शांति और पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिल सके।
दो दिवसीय बैठक, गुलमर्ग में दूसरा चरण
पहलगाम की यह बैठक दो दिनों तक चलेगी, जिसमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ कैबिनेट मंत्री, सिविल प्रशासन और पुलिस के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। इसके बाद दूसरा चरण गुलमर्ग में आयोजित किया जाएगा, जिससे दोनों प्रमुख पर्यटक स्थलों को सकारात्मक संदेश मिले।
बैठक से क्या हासिल होगा?
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सुरक्षा स्थिति की ग्राउंड रिव्यू होगी
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पर्यटन को पुनर्जीवित करने की रणनीति बनेगी
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स्थानीय प्रशासन को प्रत्यक्ष दिशा-निर्देश दिए जाएंगे
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आतंकी हमले के बाद का माहौल समझने के लिए जन संवाद भी हो सकता है
सरकार की बड़ी योजना
बैठक में सरकार “Tourism Revival Roadmap” पर भी काम करेगी। इसमें पर्यटन विभाग को अधिक बजट देना, प्रचार अभियान शुरू करना और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के उपायों पर चर्चा होगी।
सुरक्षा व्यवस्था होगी सख्त
बैठक के दौरान और उससे पहले, सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में ड्रोन से निगरानी, सीसीटीवी नेटवर्क और अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है ताकि कोई भी शांति भंग न कर सके।
क्या संदेश देना चाहती है सरकार?
उमर अब्दुल्ला सरकार यह संदेश देना चाहती है कि कश्मीर सिर्फ खबरों में ‘संकट क्षेत्र’ के रूप में न आए, बल्कि एक बार फिर “धरती का स्वर्ग” के रूप में जिए। यह बैठक दिखाती है कि राज्य सरकार आतंकवाद से पीछे नहीं हटेगी, बल्कि डटकर सामना करेगी।