वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा जारी रखने के लिए एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे..
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. में आज से शुरू हो रही भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में हिस्सा ले रहे हैं। यह बैठक चार दिन तक चलेगी और इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार से जुड़े मुद्दों को सुलझाना और व्यापारिक सहयोग को मजबूत करना है।
भारतीय टीम का नेतृत्व करेंगे पीयूष गोयल (Piyush Goyal)
पीयूष गोयल (Piyush Goyal) इस बैठक में भारतीय अधिकारियों की टीम का नेतृत्व करेंगे। यह टीम विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के विशेषज्ञों से बनी है, जो अमेरिका के साथ तकनीकी, नीतिगत और शुल्क संबंधी मसलों पर चर्चा करेगी। उनका लक्ष्य है कि भारत के हितों की रक्षा करते हुए व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाया जाए।
किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी, जैसे कि:
- अमेरिका द्वारा भारत के स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए टैरिफ
- भारत द्वारा प्रस्तावित जवाबी शुल्क
- डिजिटल व्यापार, डेटा सुरक्षा, और कृषि उत्पादों पर लगने वाले टैक्स
इन मुद्दों पर दोनों पक्षों की राय अलग-अलग है, लेकिन बातचीत से समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।
व्यापार समझौते (Trade Agreement) की तैयारी
दोनों देशों का प्रयास है कि 2025 के अंत तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता (Bilateral Trade Agreement – BTA) तैयार कर लिया जाए। यह समझौता अगर होता है तो इससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को औपचारिक रूप से नया आधार मिलेगा और नए सेक्टर खुलेंगे।
भारत-अमेरिका व्यापार की स्थिति
फिलहाल भारत और अमेरिका के बीच हर साल लगभग $129 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें भारत को लगभग $45.7 अरब डॉलर का अधिशेष (profit) मिलता है। दोनों देशों का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में यह व्यापार $500 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाए।
WTO में भारत की कार्रवाई
भारत ने अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के खिलाफ WTO (विश्व व्यापार संगठन) में कार्रवाई भी शुरू कर दी है। भारत का मानना है कि ये शुल्क अनुचित हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ हैं।
वार्ता से क्या उम्मीद की जा रही है?
इस वार्ता से उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मतभेद कम होंगे और एक मजबूत व्यापारिक साझेदारी की ओर दोनों देश आगे बढ़ेंगे। अगर समझौते पर सहमति बनती है, तो इससे भारतीय उद्योगों, किसानों और निर्यातकों को सीधा लाभ मिलेगा।