नई दिल्ली | भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक चुप्पी तोड़ने को तैयार है। ‘Operation Sindoor’ के तहत भारत ने एक निर्णायक वैश्विक पहल शुरू की है, जिसके अंतर्गत सात प्रमुख सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जाकर पाकिस्तान की आतंकवाद को पनाह देने वाली नीतियों को उजागर करेंगे। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के पक्ष से अवगत कराना और पाकिस्तान के झूठे प्रचार का पर्दाफाश करना है।
पहला प्रतिनिधिमंडल रवाना हो गया
ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण में जेडीयू सांसद संजय झा के नेतृत्व वाला पहला प्रतिनिधिमंडल आज सुबह जापान के लिए रवाना हो गया है। यह डेलिगेशन 22 मई को जापान, 24 को दक्षिण कोरिया, 27 को सिंगापुर, 28 को इंडोनेशिया और 31 मई को मलेशिया का दौरा करेगा।
दूसरा प्रतिनिधिमंडल आज रात यूएई के लिए होगा रवाना
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में दूसरा प्रतिनिधिमंडल आज रात 9 बजे यूएई के लिए रवाना होगा। इसके बाद यह डेलिगेशन कांगो (24 मई), सियरा लियोन (28 मई) और लाइबेरिया (31 मई) का दौरा करेगा।
यूएई जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं:
- बांसुरी स्वराज (भाजपा सांसद)
- अतुल गर्ग (भाजपा सांसद)
- मनन कुमार मिश्रा (भाजपा सांसद)
- एस.एस. अहलूवालिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री)
- ई.टी. मोहम्मद बसीर (IUML सांसद)
- सस्मित पात्रा (बीजद सांसद)
- सुजान चिनॉय (पूर्व राजनयिक)
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 7 वैश्विक डेलिगेशन
भारत ने सात क्षेत्रों के लिए प्रतिनिधिमंडल गठित किए हैं जो अमेरिका, यूरोप, मध्य एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में जाकर भारत के रुख को मजबूती से रखेंगे।
- प्रमुख नेतृत्व में शामिल हैं:
- रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
- बैजयंत पांडा (भाजपा)
- शशि थरूर (कांग्रेस)
- सुप्रिया सुले (एनसीपी)
- कनिमोझी (डीएमके)
- श्रीकांत शिंदे (शिवसेना)
क्या काम करेगा यह प्रतिनिधिमंडल?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जो सात प्रतिनिधिमंडल विदेशों में भेजे जा रहे हैं, उनका मुख्य उद्देश्य है:
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भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को दुनिया के सामने रखना:
ये टीमें अलग-अलग देशों में जाकर वहां की सरकार, नीति-निर्माताओं, थिंक टैंक्स और मीडिया के साथ संवाद करेंगी। -
पाकिस्तान की झूठी प्रोपेगैंडा मशीन का पर्दाफाश:
पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ गलत जानकारी फैलाता है। अब भारत खुद जाकर इन झूठों का जवाब देगा और पुख्ता सबूत देगा कि कैसे पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है। -
भारत की “न्यू नॉर्मल” विदेश नीति का प्रचार:
अब भारत रक्षात्मक नहीं, आक्रामक कूटनीति अपना रहा है। प्रतिनिधिमंडल यह दिखाएंगे कि भारत अब अपने हितों पर समझौता नहीं करेगा। -
अन्य देशों से सहयोग की अपील:
ये टीमें भारत की अपेक्षाएं साझा करेंगी और अन्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की मांग करेंगी — जैसे आतंकी संगठनों को फंडिंग रोकना, या पाकिस्तान पर दबाव बनाना।
भारत को क्या फायदा होगा?
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पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ा विरोध:
जब भारत ठोस सबूतों के साथ दुनिया को बताएगा कि पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री चला रहा है, तो कई देश उसका समर्थन करना बंद कर देंगे। -
भारत की छवि मज़बूत होगी:
भारत अब सिर्फ अपने देश में नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इससे भारत की डिप्लोमैटिक ताकत बढ़ेगी। -
आतंकवाद पर वैश्विक सहमति बनेगी:
इससे संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएं भी आतंकवाद के खिलाफ और मजबूत कदम उठाने को मजबूर होंगी। -
विदेशों में रहने वाले भारतीयों को नैतिक समर्थन मिलेगा:
दुनिया भर में रह रहे भारतीयों को यह संदेश जाएगा कि उनका देश उनके हितों की रक्षा के लिए वैश्विक मंचों पर आवाज़ उठा रहा है। -
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत का पक्ष उजागर होगा:
ये प्रतिनिधिमंडल बड़े मीडिया हाउसेज़ से मिलेंगे, जिससे भारत की कहानी दुनिया तक सही रूप में पहुंचेगी — जो अक्सर मिसरिप्रेज़ेंट होती रही है।