@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, नई दिल्ली।
RSS प्रमुख मोहन भागवत के 75 की उम्र में राजनीतिक संन्यास की सलाह ने नया सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्ष ने PM मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि क्या वे भी अब संन्यास लेंगे?
@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, नई दिल्ली।
महाराष्ट्र के नागपुर में बुधवार को एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा-‘जब आप 75 साल के हो जाते हैं, तो अब आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों के लिए रास्ता बनाना चाहिए.’ यह बयान दिवंगत RSS विचारक मोरोपंत पिंगले को समर्पित एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर दिया गया.
विपक्ष का तंज – PM मोदी को भी लेना होगा संन्यास?
इस बयान के बाद विपक्ष ने तुरंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए. कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने कहा- ‘ये बात विपक्ष ने नहीं, बल्कि BJP ने खुद पहले तय की थी. तभी मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता रिटायर हुए. अब अगर वही मापदंड लागू होता है तो 17 सितंबर को PM मोदी भी 75 साल के हो जाएंगे. क्या वो भी अब रिटायर होंगे?’
शिवसेना का तंज- अब नरेंद्र मोदी की बारी
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और जसवंत सिंह जैसे नेताओं को 75 की उम्र पार करने पर जबरन रिटायर किया. अब देखना है कि वो खुद पर भी वही नियम लागू करते हैं या नहीं.’
संजय राउत ने यह भी दावा किया कि मार्च 2024 में मोदी का नागपुर स्थित RSS मुख्यालय का दौरा इसी रिटायरमेंट चर्चा से जुड़ा था. हालांकि BJP ने उस समय इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि वह दौरा सामान्य था और किसी राजनीतिक मंथन से जुड़ा नहीं था.
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का बयान
कांग्रेस नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा,’बिना खुद अमल किए उपदेश देना खतरनाक होता है. 75 साल की उम्र सीमा के आधार पर मार्गदर्शक मंडल में नेताओं को जबरन रिटायर किया गया, लेकिन अब लगता है कि मौजूदा नेतृत्व इस नियम से बाहर रहेगा.’
भाजपा का इतिहास क्या कहता है?
ये कोई पहली बार नहीं जब उम्र को लेकर भाजपा में बहस छिड़ी हो। खुद भाजपा ने “75 पार = रिटायरमेंट” का एक अनकहा लेकिन ठोस नियम अपनाया है।
यही कारण रहा कि—
- लालकृष्ण आडवाणी
- मुरली मनोहर जोशी,
- यशवंत सिन्हा
- शांता कुमार
- जसवंत सिंह
जैसे कद्दावर नेताओं को 75 साल की उम्र के बाद किनारे कर दिया गया और उन्हें “मार्गदर्शक मंडल” का सदस्य बना दिया गया।
तो फिर मोदी के लिए अपवाद क्यों..?
अब बड़ा सवाल यही है—अगर यही नियम और परंपरा बनी रही है, तो क्या प्रधानमंत्री मोदी खुद उस पर अमल करेंगे?
या फिर वे उस अपवाद की तरह सामने आएंगे, जिसके लिए सारे नियम बदल दिए जाते हैं?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर मोदी खुद इस नियम को नहीं मानते हैं तो यह भाजपा और संघ दोनों के सिद्धांतों पर सवालिया निशान लगाता है।
कांग्रेस और विपक्ष का पलटवार
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोहन भागवत के बयान के बाद तुरंत कहा—
“प्रधानमंत्री जी! जैसे ही लौटे, संघ प्रमुख ने बता दिया कि वो 75 के हो जाएंगे… अब तो उन्हें अपना बैग उठा लेना चाहिए!”
शिवसेना (UBT) ने भी इसे तंज में कहा—
“आडवाणी जी को 75 पार होने पर दरकिनार किया गया,
अब क्या वही नियम ‘सेलेक्टिव’ रहेंगे?”
क्या भाजपा और संघ देंगे जवाब?
अब तक भाजपा या संघ की तरफ से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। मगर अंदरूनी हलचलें ज़रूर हैं। कई वरिष्ठ नेता यह भी मानते हैं कि अगर मोदी इस “75 रूल” को नहीं मानते, तो विपक्ष को बड़ा हथियार मिल जाएगा। और जो नैतिक ऊंचाई भाजपा ने वर्षों में बनाई है, उनकी प्रतिष्ठा में कमी अवश्य आएगी।
क्या होगा आगे…?
अगर पीएम मोदी इस नियम को मानते हैं तो उन्हें या तो उत्तराधिकारी घोषित करना पड़ेगा,
या फिर अमित शाह या किसी और नेता को अगले लोकसभा चुनाव के लिए आगे लाना होगा।
निष्कर्षत: मोहन भागवत का बयान कोई साधारण ‘कोट’ नहीं, ये संकेत है – और शायद दिशा भी।
अब फैसला नरेंद्र मोदी के हाथ में है— या तो वो खुद हटकर “संघ परंपरा” को ज़िंदा रखें, या फिर वही परंपरा सवालों में घिर जाए।
BJP का जवाब – मोदी 2029 तक रहेंगे PM
इन सभी अटकलों के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मई 2023 में ही स्पष्ट कर दिया था कि BJP के संविधान में कोई रिटायरमेंट की बाध्यता नहीं है. उन्होंने कहा था, ‘मोदी जी 2029 तक नेतृत्व करेंगे. रिटायरमेंट की कोई बात नहीं है. INDIA गठबंधन सिर्फ झूठ फैलाकर चुनाव नहीं जीत सकता.’