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भारत का मुख्य दुश्मन कौन है? ये सवाल पिछले कई सालों से बना हुआ कि पाकिस्तान या चीन भारत किसे अपना बड़ा दुश्मन मानता है. इस सवाल का जवाब एक खुफिया रिपोर्ट में मिला है. अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) ने कहा है कि पाकिस्तान भारत को अस्तित्व के लिए खतरा मानता है. इसलिए पाकिस्तान अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के की कोशिश में लगा रहेगा. अपनी ‘विश्व खतरा आकलन’ रिपोर्ट में, जिसमें पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला करने के लिए भारत के ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद शत्रुता में वृद्धि का उल्लेख है, DIA ने कहा है कि पीएम मोदी की रक्षा प्राथमिकताएं वैश्विक नेतृत्व का प्रदर्शन करने, चीन का मुकाबला करने और भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाने पर केंद्रित होंगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत चीन को प्राथमिक विरोधी और Pakistan को एक सहायक सुरक्षा समस्या के रूप में देखता है, जिसे मई के मध्य में दोनों सेनाओं द्वारा सीमा पार हमलों के बावजूद प्रबंधित किया जाना चाहिए. चीन ने पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को पिछले कुछ वर्षों में अपने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खजाने को लगातार बढ़ाने में मदद करने के लिए प्रसार गठजोड़ को सुविधाजनक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. वैश्विक अनुमानों के अनुसार भारत और पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, तथा टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा पहले दी गई रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद अक्सर नई दिल्ली की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता के जवाब में अपनी कम दूरी की नस्र (हत्फ-IX) और अन्य मिसाइलों का प्रदर्शन करता रहता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के परमाणु भंडार में संभवतः 600 से ज़्यादा ऑपरेशनल वॉरहेड्स होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि 2030 तक चीन के पास 1,000 से ज़्यादा ऑपरेशनल वॉरहेड्स होंगे, जिनमें से ज़्यादातर को तेज़ प्रतिक्रिया समय के लिए उच्च तत्परता स्तरों पर तैनात किया जाएगा.
Pakistan की चुनौती हुई कमज़ोर
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, Pakistan की चुनौती भारत के लिए पहले की तुलना में काफी कमजोर हो गई है। पाकिस्तान अब भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिक चिंता नहीं रहा है और इसे एक द्वितीयक या सहायक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक समस्याएं और सैन्य क्षमताओं में सीमित विकास के कारण पाकिस्तान की रणनीतिक पकड़ कमजोर हुई है। वहीं, भारत की मुख्य सुरक्षा चिंता अब चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकतों पर केंद्रित है, जो सीमा विवाद और क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने के चलते भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इस बदलाव के साथ भारत अपनी सुरक्षा रणनीति को भी चीन के खिलाफ मजबूत कर रहा है।
चीन से मिल रहा पाकिस्तान को सहयोग
DIA की रिपोर्ट में कहा गया है कि Pakistan बीजिंग की “आर्थिक और सैन्य उदारता” का मुख्य रूप से प्राप्तकर्ता है, और इसकी सेना हर साल चीनी सेना के साथ कई सैन्य अभ्यास करती है. रिपोर्ट में कहा गया है, “पाकिस्तान के WMD कार्यक्रमों का समर्थन करने वाली विदेशी सामग्री और तकनीक मुख्य रूप से चीन के आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त की जाती है, और कभी-कभी हांगकांग, सिंगापुर, तुर्किये और यूएई के माध्यम से भेजी जाती है.
भारत-चीन के बीच अब भी असुलझा सीमा विवाद
भारत का ध्यान अब सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इंडो-पैसिफिक और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी भूमिका को मज़बूत करने पर है. वह अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और चतुर्पक्षीय साझेदारियों को विस्तार दे रहा है. सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री, प्रशिक्षण और इंटेलिजेंस शेयरिंग जैसे उपायों के जरिए भारत चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है. साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता को भी बढ़ा रहा है ताकि वह आत्मनिर्भर हो सके और वैश्विक सैन्य सप्लाई चेन की किसी भी गड़बड़ी से बचा जा सके.