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सख्त लहजे में कहा हाइकोर्ट ने – “शाह ने गटरछाप भाषा का इस्तेमाल किया है, जो अस्वीकार्य “
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“जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है, तो संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदार होना चाहिए”
pioneer digital desk
भोपालः ऑपरेशन सिंदूर को लेकर महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर एमपी मंत्री विजय शाह की विवादित टिप्पणी पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे कैंसर जैसा घातक बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि मंत्री शाह ने गटरछाप भाषा का इस्तेमाल किया है, जो अस्वीकार्य है। इसके बाद बुधवार देर रात महू पुलिस ने विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। इसके बाद गुरुवार को विजय शाह सुप्रीम कोर्ट की शरण पहुंचे और एफआईआर पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन यहां भी शाह को राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप संवैधानिक पद हैं और आपको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। एक मंत्री होकर आप किसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी 16 मई को कुंवर विजय शाह की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14 मई को शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। शाह ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कुंवर विजय शाह को फटकार लगाते हुए कहा कि जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है, तो संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें पता होना चाहिए कि वह क्या कह रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह ने सोमवार को महू के आंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में आयोजित सार्वजनिक समारोह में भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। इस संबंध में समाचार पत्रों तथा डिजिटल मीडिया में प्रकाशित खबरों को संज्ञान में लेकर युगलपीठ मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में कर रहा था। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सशस्त्र सेना देश में मौजूद आखिरी संस्था है, जो ईमानदारी, उद्योग, अनुशासन, त्याग, निःस्वार्थता, चरित्र, सम्मान और अदम्य साहस को दर्शाती है। देश का कोई भी नागरिक खुद उन्हें पहचान सकता है। मंत्री विजय शाह ने आमसभा में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ ‘गंदी भाषा’ का इस्तेमाल किया है। कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ, मीडिया और राष्ट्र को पाकिस्तान के खिलाफ हमारे सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की प्रगति के बारे में जानकारी देने वाले सशस्त्र बलों का चेहरा थीं।
मंत्री का ये था बयान
मोहन सरकार के मंत्री विजय शाह ने मानपुर में आयोजित हलमा कार्यक्रम में मंत्री शाह ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा,
जिन आंतकियों ने पहलगाम में लोगों को मारा, उनके कपड़े उतरवाए, उन आंतकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा। मंत्री शाह ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हीं की बहन को भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई।
बयान को लेकर जब राजनीति गरमा गई तो उन्होंने कहा कि
हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ने वाले वालों को हमने उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है। उनके भाषण को अलग संदर्भ में नहीं देखना चाहिए। वो हमारी बहनें हैं। उन्होंने पूरी ताकत से सेना के साथ मिलकर काम किया है।
विजय शाह का विवादों से पुुराना नाता
उमा भारती से लेकर मोहन यादव तक की कैबिनेट में मंत्री के ओहदे पर रह चुके कुंवर विजय शाह कर्नल सोफिया कुरैशी से पहले भी कई बार विवादित और आपत्तिजनक बयानों को लेकर फंस चुके हैं, भावनाओं और मान-सम्मान को ताक में रख कुछ भी कहने वाले विजय शाह को एक बार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा तो कई बार वे सार्वजनिक आलोचना का शिकार भी हुए हैं। वर्ष 2013 में जब विजय शाह जनजातीय कार्य मंत्री थे। तब खंडवा में एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री विजय शाह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर विवादास्पद टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
यही नहीं एक और कार्यक्रम में बालिकाओं को टी-शर्ट बांटते समय उन्होंने कहा था,
इनको दो-दो दे दो, मुझे नहीं पता ये नीचे क्या पहनती है? मंत्री विजय शाह इस बयान पर सार्वजनिक आलोचना झेल चुके हैं।
साल 2020 में अपनी फिल्म शेरनी की शूटिंग के लिए मध्यप्रदेश पहुंची एक्ट्रेस विद्या बालन को विजय शाह ने डिनर के लिए आमंत्रण भेजा। लेकिन विद्या बालन ने आमंत्रण ठुकरा दिया।
राहुल गांधी के खिलाफ सितंबर 2022 में खंडवा में एक सभा टिप्पणी की
अगर कोई लड़का 50-55 साल का हो जाए और शादी न करे तो लोग पूछते हैं कि कोई कमी तो नहीं है?
मकड़ाई राजघराने के आदिवासी नेता
कुंवर विजय शाह का संबंध मकड़ाई के राजघराने से है। वो भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं। साल 1998 से लगातार हरसूद विधानसभा सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं। वो आठवीं बार के विधायक हैं। वे 2003 में पहली बार उमा भारती सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। इसके बाद बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव की सरकार में भी उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है।