नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में एक अहम अभियान शुरू किया है, जिसमें जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड सहित कई प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों की जांच की जा रही है। यह अभियान प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत चलाया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने दिल्ली, नोएडा और मुंबई में कुल 15 ठिकानों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई जेपी समूह और उससे जुड़ी कंपनियों – गौरसंस ग्रुप, गुलशन ग्रुप, महागुण ग्रुप और सुरक्षा रियलिटी ग्रुप – के कार्यालयों और निदेशकों के निजी परिसरों पर केंद्रित है।
क्या है मामला?
ईडी को संदेह है कि इन बिल्डरों ने हजारों घर खरीदारों और निवेशकों से जुटाई गई लगभग 12,000 करोड़ रुपये की राशि का दुरुपयोग किया। आरोप है कि यह पैसा परियोजनाओं में लगाने के बजाय अन्य कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया गया या निजी हितों में उपयोग किया गया। जांच एजेंसी अब फर्जी दस्तावेज़ों, संदिग्ध फंड ट्रांसफर और लेन-देन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर रही है।
जेपी ग्रुप पहले से ही संकट में
जेपी इंफ्राटेक पहले से ही भारी कर्ज और परियोजनाओं में देरी के कारण विवादों में रही है। 2024 में सुरक्षा ग्रुप द्वारा इसे अधिग्रहित किया गया था, लेकिन वर्तमान जांच पुराने लेनदेन और संभावित वित्तीय अनियमितताओं पर केंद्रित है।
रियल एस्टेट सेक्टर में मची हलचल
इस छापेमारी से रियल एस्टेट उद्योग में चिंता की लहर दौड़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह मामला देश में रियल एस्टेट सेक्टर की पारदर्शिता और नियामकीय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करेगा। वहीं, घर खरीदारों को यह उम्मीद है कि यह कार्रवाई उन्हें न्याय दिलाने में मदद करेगी।
क्या मिलेगा घर खरीदारों को इंसाफ?
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ईडी की यह पहल कानूनी कार्रवाई से आगे बढ़कर पीड़ित निवेशकों को राहत दिला पाएगी या यह सिर्फ एक औपचारिक कदम बनकर रह जाएगी।