नई दिल्ली | भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान (Pakistan) के साथ किसी भी प्रकार की वार्ता केवल द्विपक्षीय (बाइलेट्रल) होगी और उसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी। यह बयान उस वक्त आया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में मदद की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में इस दावे को खारिज करते हुए दो टूक कहा:
“भारत और पाकिस्तान के बीच सभी संबंध पूरी तरह द्विपक्षीय होने चाहिए। बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते।”
भारत की स्पष्ट नीति
भारत का रुख लंबे समय से यही रहा है कि पाकिस्तान (Pakistan) से कोई भी वार्ता तभी संभव है जब वह सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद कर दे। इसके तहत:
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सिंधु जल संधि पर भी फिलहाल रोक लगी हुई है।
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भारत ने दोहराया है: “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
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व्यापारिक रिश्ते भी ठप हैं जब तक कि पाकिस्तान ठोस आतंकवाद विरोधी कदम नहीं उठाता।
तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं
भारत की नीति स्पष्ट रही है कि भारत-पाक मुद्दे आपसी बातचीत से ही सुलझाए जाएंगे। ट्रंप का यह कहना कि उन्होंने सीजफायर कराया, भारत सरकार के दावे से मेल नहीं खाता। भारत कह चुका है कि 2021 का संघर्षविराम समझौता भी दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का।
तुर्की को भी नसीहत
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत को उम्मीद है कि तुर्किये जैसी मित्र सरकारें पाकिस्तान को समझाएंगी कि वह आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे और उन आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे, जिन्हें उसने अब तक सुरक्षित पनाहगाहें दे रखी हैं।