नई दिल्ली : भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को स्पष्ट किया है कि समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबला करना उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह बात भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने यूएनएससी की एक उच्च स्तरीय खुली बहस में कही, जिसका विषय था – “अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना: वैश्विक स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना।”
यह बहस यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस की अध्यक्षता में हुई, जो मई माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष हैं।
भारत की समुद्री सुरक्षा नीति – एक विस्तृत दृष्टिकोण
भारत के पास लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा है और देश में समुद्री क्षेत्र का विस्तार लगभग 2.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र में भारत के समुद्री जहाजों का भारी व्यापार होता है, जो देश की कुल निर्यात-आयात का लगभग 95% हिस्सा संभालता है। इसलिए समुद्री सुरक्षा भारत के लिए सिर्फ सैन्य सुरक्षा नहीं, बल्कि आर्थिक जीवन रेखा भी है।
राजदूत हरीश ने बताया कि भारत की समुद्री सुरक्षा नीति में निम्नलिखित मुख्य तत्व शामिल हैं:
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सशक्त नौसेना और तटरक्षक बल: भारत की नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक मजबूत सामरिक भूमिका निभा रही है, जो समुद्री सीमाओं की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करती है।
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क्षेत्रीय सहयोग और कूटनीति: भारत बहुपक्षीय सहयोग जैसे आईओआरए (Indian Ocean Rim Association), क्वाड (QUAD) और मालाबार अभ्यास जैसे सुरक्षा मंचों के जरिए समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा दे रहा है।
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अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान: भारत यूएन समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) के नियमों का पालन करता है और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यवस्था का समर्थन करता है।
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घरेलू समुद्री बुनियादी ढांचे का विकास: बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, तटरेखा पर निगरानी के लिए तकनीकी उन्नयन, और तटीय सुरक्षा के लिए डिजिटल उपाय अपनाए जा रहे हैं।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई चुनौतियां
भारत ने स्पष्ट किया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ना, और आतंकवादी गतिविधियां सुरक्षा के लिए बड़े खतरे हैं। इसके अलावा, चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव ने क्षेत्रीय संतुलन को चुनौती दी है। भारत इस संदर्भ में अपनी रणनीति को लगातार अपडेट कर रहा है ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता कायम रहे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की चेतावनी
गुतारेस ने बैठक में कहा कि समुद्री डकैती, हथियारबंद डकैती, तस्करी, संगठित अपराध, और समुद्री आतंकवाद जैसे खतरे वैश्विक समुद्री सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने सभी देशों से अपील की कि वे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और UNCLOS के नियमों का सम्मान करें ताकि समुद्री क्षेत्र सुरक्षित और मुक्त बना रहे।
भारत का वैश्विक योगदान
भारत ने सुरक्षा परिषद को यह भी बताया कि वह समुद्री सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर सक्रिय है। इसके तहत भारत ने निम्नलिखित पहलें की हैं:
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एंटी-पायरेसी ऑपरेशन: भारत ने अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र में समुद्री डकैती रोकने के लिए संयुक्त ऑपरेशन किए हैं।
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क्षेत्रीय समुद्री अभ्यास: भारत नियमित रूप से मलयेशिया, सिंगापुर, जापान और अमेरिका के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास करता है।
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समुद्री सुरक्षा सूचना साझा करना: भारत ने अपने नजदीकी देशों के साथ समुद्री खतरों की जानकारी साझा करने के लिए एक नेटवर्क स्थापित किया है।