तुर्की का पाकिस्तान के साथ सैन्य और कूटनीतिक समर्थन भारत-तुर्की संबंधों में एक गहरा घाव है। भारत ने तुर्की को मानवीय सहायता और आर्थिक निवेश के माध्यम से समर्थन दिया, लेकिन तुर्की की हाल की कार्रवाइयों ने इस रिश्ते को नुकसान पहुंचाया है। भारतीय बहिष्कार (Boycott Turkey) ने तुर्की की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पर्यटन और व्यापार, पर गंभीर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जटिलताओं को दर्शाती है, जहां रणनीतिक गठजोड़ आर्थिक और मानवीय बंधनों पर हावी हो सकते हैं।
PIONEER DIGITAL DESK
भारत और तुर्की के बीच संबंध, जो कभी आर्थिक सहयोग और मानवीय सहायता पर आधारित थे, हाल के महीनों में गंभीर तनाव का शिकार हो गए हैं। इस तनाव का मुख्य कारण तुर्की का पाकिस्तान के साथ सैन्य और कूटनीतिक समर्थन है, विशेष रूप से मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की की गद्दारी उभरकर सामने आई। आपरेशन सिंदूर के दौेरान तुर्की ने पाकिस्तान को 350 से अधिक ड्रोन और दो सैन्य अधिकारियों की आपूर्ति की, जिसे पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हमले के लिए इस्तेमाल किया। यही नहीं पाकिस्तान की मदद करने के लिए अपना युद्धपोत भेजा था। इसने भारत में व्यापक आक्रोश पैदा किया, जिसके परिणामस्वरूप तुर्की के खिलाफ आर्थिक बहिष्कार शुरू हुआ। आइये समझते हैं तुर्की इस कथित “गद्दारी” की वजह।
ऐतिहासिक और आर्थिक पृष्ठभूमि
भारत और तुर्की ने 1948 में कूटनीतिक संबंध स्थापित किए, और तब से उनके बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव रहा है। आर्थिक सहयोग हमेशा एक मजबूत आधार रहा है। 2019 तक, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार $7.8 बिलियन था, जो 2023-24 में बढ़कर $10.43 बिलियन हो गया, जिसमें भारत का व्यापार अधिशेष $2.87 बिलियन था (India-Turkey Relations)। भारत ने तुर्की में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जिसमें 150 से अधिक कंपनियां शामिल हैं, जैसे टाटा मोटर्स, महिंद्रा & महिंद्रा, रिलायंस, अदित्य बिरला ग्रुप, और जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर। जीएमआर समूह ने इस्तांबुल के सबिहा गोक्सेन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल की है।
ऑपरेेशन दोस्त के बाद संबंध सुधरे
2023 में, तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने “ऑपरेशन दोस्त” शुरू किया। इस अभियान के तहत, भारत ने 250 प्रशिक्षित कर्मियों, विशेष उपकरणों, और राहत सामग्रियों को छह सी-17 सैन्य विमानों के माध्यम से भेजा। भारतीय टीमें बचाव कार्यों और चिकित्सा उपचार में सक्रिय थीं, जिसने भारत की मानवीय प्रतिबद्धता को दर्शाया। उस वक्त लगा कि तुर्की भारतीय मदद के बदले अहसान मानेगा और दोनों देशों के बीच दोस्ती मजबूत हो रही है लेकिन तुर्की की हाल की नीतियों ने इस सहायता के महत्व को कम कर दिया।
भारतीय निवेश: तुर्की की अर्थव्यवस्था में योगदान
भारतीय उद्यमियों ने तुर्की में लाखों करोड़ रुपये का निवेश किया है। 150 से अधिक भारतीय कंपनियों ने संयुक्त उद्यम, व्यापार, और प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किए हैं। इनमें पॉलिप्लेक्स, जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर, टाटा मोटर्स, महिंद्रा & महिंद्रा, रिलायंस, इस्पात, अदित्य बिरला ग्रुप, ट्रैक्टर एंड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड, जैन सिंचाई, विप्रो, सिक्वेंट साइंटिफिक, और दाबूर शामिल हैं। जीएमआर समूह की इस्तांबुल हवाई अड्डे में हिस्सेदारी तुर्की की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत के योगदान का एक प्रमुख उदाहरण है। अप्रैल 2000 से अप्रैल 2014 तक, तुर्की ने भारत में $87.18 मिलियन का प्रत्यक्ष निवेश किया, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है।
क्षेत्र | प्रमुख भारतीय कंपनियां | उदाहरण |
ऑटोमोबाइल | टाटा मोटर्स, महिंद्रा & महिंद्रा | वाहन निर्माण और वितरण |
बुनियादी ढांचा | जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर | सबिहा गोक्सेन हवाई अड्डा |
रसायन और फार्मास्यूटिकल्स | सिक्वेंट साइंटिफिक, दाबूर | दवा उत्पादन और वितरण |
प्रौद्योगिकी | विप्रो | सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाएं |
पर्यटन से आय: तुर्की का लाभ
तुर्की भारतीय पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य रहा है, जो इसकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 2023 में, 270,000 भारतीय पर्यटकों ने तुर्की का दौरा किया, जो 2022 के 229,000 से 18% अधिक था। 2024 में, यह संख्या बढ़कर 330,100 हो गई (Indians Spent $400M)। भारतीय पर्यटकों ने 2024 में तुर्की और आजरबैजान में $400 मिलियन से अधिक खर्च किए। तुर्की का पर्यटन उद्योग 2023 में $54.3 बिलियन का राजस्व उत्पन्न कर रहा था, जिसमें भारतीय पर्यटकों का योगदान, विशेष रूप से शादियों और कॉर्पोरेट आयोजनों के लिए, महत्वपूर्ण था (Boycott Turkey)।
तुर्की का पाकिस्तान प्रेम
तुर्की पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ये सैन्य सहयोग दिए
- ड्रोन और हथियार: तुर्की ने पाकिस्तान को बायरक्टार टीबी2 यूएवी, सोंगार ड्रोन, और केमांकेस क्रूज मिसाइलें प्रदान की हैं। 8 मई 2025 को, सोंगार ड्रोन का उपयोग सीमा पर घुसपैठ में किया गया (Turkey-Pakistan Alliance)।
- नौसेना सहयोग: 2018 में, तुर्की ने $1.5 बिलियन के समझौते के तहत चार MILGEM-क्लास स्टेल्थ कॉर्वेट की आपूर्ति की, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल था।
- हेलीकॉप्टर और अन्य: तुर्की ने 30 T129 ATAK हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति का वादा किया, हालांकि यह सौदा अमेरिकी निर्यात प्रतिबंधों के कारण रुका हुआ है। तुर्की की STM डिफेंस टेक्नोलॉजीज ने पाकिस्तान के अगोस्ता 90B पनडुब्बियों को उन्नत किया है।
- हाल की गतिविधियां: 27 अप्रैल 2025 को, एक तुर्की C-130 हरक्यूलिस विमान कराची में उतरा, संभवतः ड्रोन की डिलीवरी के लिए। 30 अप्रैल 2025 को, लेफ्टिनेंट जनरल यासर कादिओग्लू ने पाकिस्तान वायु सेना मुख्यालय का दौरा किया।
तुर्क के पाकिस्तान प्रेम का कारण
तुर्की और पाकिस्तान के बीच संबंध कोल्ड वार के दौरान विकसित हुए, जब दोनों देशों ने साझा इस्लामिक पहचान और पश्चिमी गठबंधनों में भागीदारी के आधार पर सहयोग किया। यह साझेदारी समय के साथ मजबूत हुई, विशेष रूप से सैन्य और कूटनीतिक क्षेत्रों में। तुर्की ने पाकिस्तान को सैन्य हार्डवेयर प्रदान किया, जैसे बायरक्टार टीबी2 ड्रोन्स (2022 में 3 प्राप्त हुए, SIPRI के अनुसार), मिल्गेम-क्लास स्टेल्थ कॉर्वेट्स ($1.5 बिलियन, 2018), और केमांकेस क्रूज मिसाइलें। हाल के घटनाक्रमों में, 27 अप्रैल 2025 को एक तुर्की C-130 विमान कराची में उतरा, और 30 अप्रैल 2025 को लेफ्टिनेंट जनरल यासर कादिओग्लू ने पाकिस्तान वायु सेना मुख्यालय का दौरा किया, जो सैन्य सहयोग की गहराई को दर्शाता है। तुर्की ने 2019 में संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का पक्ष लिया और भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने की कोशिशों का विरोध किया।ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोघन ने पाकिस्तान की “शांत और संयमित” नीतियों की प्रशंसा की और पाहलगाम हमले की जांच की मांग की (Turkey-Pakistan Alliance)। एर्दोघन ने 2003 के बाद से पाकिस्तान की 10 बार यात्रा की है। अप्रैल 2025 में, उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मेजबानी की।
भारत ने किया आर्थिक बहिष्कार
तुर्की के पाकिस्तान समर्थन ने भारत में गहरा आक्रोश पैदा किया है। नागरिकों, व्यवसायों, और हस्तियों ने तुर्की के उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार शुरू किया है, जिसके परिणामस्वरूप तुर्की की अर्थव्यवस्था पर तत्काल प्रभाव पड़ा है।
पर्यटन पर प्रभाव
- बुकिंग में कमी: तुर्की के लिए भारतीय यात्रा बुकिंग 60% कम हो गई है, और रद्दीकरण 250% बढ़ गया है (Indians Cancel Trips)।
- ट्रैवल एजेंसियां: मेकमायट्रिप और ईजमायट्रिप जैसी कंपनियों ने तुर्की यात्राओं पर रोक लगा दी है। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने तुर्की को बढ़ावा देना बंद कर दिया है।
- आर्थिक नुकसान: 2024 में, 330,100 भारतीय पर्यटकों ने तुर्की का दौरा किया, जो अब जोखिम में है। तुर्की के $54.3 बिलियन के पर्यटन उद्योग को लाखों डॉलर का नुकसान होने की संभावना है।
व्यापार पर प्रभाव
- उत्पाद बहिष्कार: उदयपुर के मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने तुर्की के मार्बल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जो भारत की 70% आपूर्ति का हिस्सा था। पुणे के फल व्यापारियों ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार किया, जिनकी जगह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और ईरान के उत्पादों ने ली (Boycott Turkey)।
- द्विपक्षीय व्यापार: 2023-24 में, भारत-तुर्की व्यापार $10.43 बिलियन था, जिसमें भारत ने $6.65 बिलियन का निर्यात और $3.78 बिलियन का आयात किया। इस बहिष्कार से यह व्यापार प्रभावित हो सकता है।
- विशिष्ट क्षेत्र: इंजीनियरिंग सामान, जो संभवतः ड्रोन में उपयोग होते हैं, तुर्की को भारत के प्रमुख निर्यात हैं।
वित्तीय वर्ष | तुर्की को निर्यात (USD मिलियन) | तुर्की से आयात (USD मिलियन) | व्यापार संतुलन (USD मिलियन) |
2018–19 | 5,452.45 | 2,388.26 | +3,064.19 |
2019–20 | 4,969.47 | 2,116.56 | +2,852.91 |
2020–21 | 3,952.89 | 1,467.33 | +2,485.56 |
2021–22 | 8,716.13 | 1,996.75 | +6,719.38 |
2022–23 | 9,609.67 | 4,208.84 | +5,400.83 |
2023–24* | 6,650.00 | 3,780.00 | +2,870.00 |
अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव
- फिल्म उद्योग: ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने तुर्की में फिल्म शूटिंग पर पूर्ण बहिष्कार घोषित किया और तुर्की कलाकारों के साथ सहयोग समाप्त कर दिया।
- शैक्षणिक सहयोग: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ अपनी साझेदारी निलंबित कर दी।
- विमानन: तुर्की की कंपनी सेलिबी एविएशन, जो भारत के आठ हवाई अड्डों पर 58,000 उड़ानों को संभालती है, पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है।
तुर्की पर बढा आर्थिक दबाव
भारतीय बहिष्कार ने तुर्की की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पर्यटन और व्यापार, पर गंभीर प्रभाव डाला है। पर्यटन उद्योग, जो $54.3 बिलियन का राजस्व उत्पन्न करता है, भारतीय पर्यटकों के नुकसान से प्रभावित हुआ है। 2024 में, 330,100 भारतीय पर्यटकों ने तुर्की का दौरा किया, और इस संख्या में कमी से लाखों डॉलर का नुकसान हो सकता है। व्यापार बहिष्कार $10.43 बिलियन के द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से तुर्की के लिए, क्योंकि भारत का व्यापार अधिशेष है। तुर्की भारत के निर्यात का 1.5% और आयात का 0.5% हिस्सा है, और इस बहिष्कार से इस व्यापार पर छाया पड़ सकती है (Boycott Turkey Impacts)।