@कवर्धा के सिंघनगढ़ पंचायत में सरपंच पर 7 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का गंभीर आरोप

@पीड़ितों का आरोप- राजनीतिक बदला लेने के लिए सरपंच ने जारी किया तुगलकी फरमान

@मामला कलेक्टर-एसपी तक पहुंचा, सरपंच को पद से हटाने की मांग।

@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन,कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम (कवर्धा) जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहाँ एक सरपंच ने राजनीतिक ईर्ष्या से 7 परिवारों का हुक्का पानी बंद सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान के तहत इन परिवारों से कोई भी बातचीत नहीं कर सकता, न ही उन्हें किसी दुकान से सामान मिल रहा है। इस अमानवीय कृत्य से परेशान होकर पीड़ित परिवारों ने अब कलेक्टर और एसपी से न्याय की गुहार लगाई है।

सरपंच का फरमान: न बात, न दुकान से सामान, न मिलेगी कोई सेवा

यह पूरा मामला सहसपुर लोहारा ब्लॉक की सिंघनगढ़ पंचायत का है। पीड़ित परिवारों के अनुसार, गांव के वर्तमान सरपंच खिलावन साहू ने उनके खिलाफ एक फरमान जारी किया है। इस फरमान के कारण गांव में 7 परिवारों का हुक्का-पानी पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

यह-यह लगाया प्रतिबंध–

@गांव का कोई भी व्यक्ति इन परिवारों से बात नहीं करेगा।

@उन्हें किसी भी दुकान से राशन या अन्य सामान नहीं दिया जाएगा।

@चरवाहा उनकी गायों को चराने नहीं ले जाएगा।

@नाई उनके बाल-दाढ़ी नहीं बनाएगा।

इतना ही नहीं, सरपंच ने यह भी ऐलान किया है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस नियम को तोड़कर इन परिवारों से संबंध रखता है या उनकी मदद करता है, तो उस पर 1000 रुपये का आर्थिक दंड लगाया जाएगा।

क्यों किया गया सामाजिक बहिष्कार? राजनीतिक बदले का आरोप

पीड़ित परिवारों ने अपनी शिकायत में बताया है कि सरपंच यह सब एक पुरानी दुश्मनी और राजनीतिक बदला लेने की भावना से कर रहा है। उनका आरोप है कि सरपंच कांग्रेसी विचारधारा का है, जबकि वे सभी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हुए हैं। पीड़ितों में कुछ लोग भाजपा के पदाधिकारी और सांसद प्रतिनिधि भी हैं।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सरपंच ने आयुर्वेद फार्मासिस्ट विद्यासिंह धुर्वे की एक शिकायत को बहाना बनाया है, जबकि असली मकसद राजनीतिक रंजिश निकालना है। सरपंच ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पंचायत की सील और हस्ताक्षर का इस्तेमाल करके यह अवैध फरमान जारी किया है।

प्रशासन से न्याय की गुहार

सरपंच के इस तुगलकी फरमान से तंग आकर भगवानी साहू, घासीराम निषाद, संतोष गुप्ता समेत सभी 7 पीड़ित परिवारों ने एकजुट होकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को लिखित शिकायत दी है।

पीड़ित परिवार ने अपनी शिकायत में रखी मांग –

@मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।

@कानून के विरुद्ध जाकर सामाजिक बहिष्कार जैसा फरमान जारी करने वाले सरपंच के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।

@सरपंच को उसके पद से तत्काल हटाया जाए।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित परिवारों को कब तक न्याय मिल पाता है।

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