छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के जुहली गांव में 300 महिलाओं की टोली ने नशा और अपराध पर पूरी तरह रोक लगा दी है. बीते 15 साल में गांव से एक भी केस थाने तक नहीं पहुंचा, जुहली आज पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन चुका है.

@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक छोटा-सा गांव जुहली आज पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी मिसाल बन गया है. एक समय था जब यहां अवैध शराब का बोलबाला था, लेकिन आज महिला शक्ति की बदौलत यह गांव नशा मुक्त, अपराध मुक्त और आदर्श ग्राम बन चुका है. लगभग 300 महिला कमांडो की टोली गांव को सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने में जुटी है, और नतीजा यह है कि बीते 15 वर्षों से गांव से एक भी अपराध थाने तक नहीं पहुंचा.

महिला शक्ति बनी समाज की प्रहरी

सीपत थाना क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य गांव जुहली में 90 प्रतिशत आबादी आदिवासी समुदाय की है. यहां की लगभग 300 महिलाएं महिला कमांडो के रूप में संगठित होकर 2020 से गांव में नशा, अपराध और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चला रही हैं. हर रविवार गांव में बैठक होती है, जिसमें महिलाएं बच्चों के भविष्य, महिलाओं की सुरक्षा और गांव के विकास पर चर्चा करती हैं.

अब थाने तक नहीं पहुंचती गांव की शिकायत

सीपत थाना प्रभारी गोपाल सतपथी ने बताया कि जब उन्होंने थाने का कार्यभार संभाला, तब उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि जुहली गांव से पिछले 15 वर्षों में एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ है. जब उन्होंने गांव का दौरा किया तो महिलाओं की संगठित चेतना टोली देखकर वह बेहद प्रभावित हुए.

गांव में ही होता है आपसी विवादों का समाधान

जुहली गांव में कोई भी समस्या या विवाद थाने तक नहीं पहुंचता. गांव की महिलाएं, सरपंच और पंच मिलकर आपसी संवाद और पंचायत के माध्यम से ही हर मुद्दे का समाधान करते हैं. नशे से संबंधित किसी भी गतिविधि पर तुरंत गांव स्तर पर सख्त कार्रवाई की जाती है.

नारी शक्ति को मिला पुलिस से समर्थन

पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने चेतना अभियान में इन महिला कमांडो को चेतना प्रहरी की उपाधि प्रदान की. उन्होंने कहा कि जुहली गांव की महिलाएं प्रदेश के लिए प्रेरणा हैं. उन्हें आई कार्ड और महिला कमांडो का दर्जा भी दिया गया है. हालांकि पुलिस नियमों के अनुसार इनका कार्यक्षेत्र गांव तक सीमित रहेगा.

नशा छोड़ो, समाज जोड़ो… है जुहली का मंत्र

महिला कमांडो का मानना है कि नशा ने न केवल परिवारों को तोड़ा बल्कि सामाजिक तिरस्कार और आर्थिक बर्बादी का कारण भी बना. इसलिए गांव की हर महिला अब इस दिशा में सजग प्रहरी बन चुकी है. उनका एकमात्र लक्ष्य है नशा छोड़ो, समाज जोड़ो.

प्रेरणा बना जुहली, दूसरे गांवों में भी हो रही पहल

जुहली की यह पहल अब आस-पास के गांवों को भी प्रेरित कर रही है. कारिछापर जैसे गांव अब इसी राह पर चल पड़े हैं. महिला कमांडो की इस संगठित कोशिश ने यह दिखा दिया कि अगर महिलाएं ठान लें, तो समाज में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं.

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