भारत का नाम अंतरिक्ष के इतिहास में एक बार फिर चमकने वाला है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला(Shubhanshu Shukla)10 जून 2025 को अमेरिका की Axiom Space कंपनी के Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरेंगे। राकेश शर्मा के 1984 की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद शुभांशु शुक्ला ऐसे दूसरे भारतीय होंगे जो अंतरिक्ष में जाएंगे, और ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय नागरिक बनेंगे।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के 39 वर्षीय अधिकारी हैं। वे 2006 में वायुसेना में शामिल हुए और एक फाइटर और टेस्ट पायलट के रूप में 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव रखते हैं। उन्होंने सुखोई-30MKI, मिग-29, मिग-21, जैगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN-32 जैसे विमानों को उड़ाया है।
शुक्ला गगनयान मिशन के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं और उन्हें रूस के मॉस्को स्थित यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अंतरिक्ष प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें इस मिशन में शामिल करना भारत और ISRO के लिए एक रणनीतिक और महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है Axiom-4 मिशन?
Axiom-4 मिशन एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष मिशन है जिसे अमेरिकी कंपनी Axiom Space चला रही है। इसका लक्ष्य चार अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक भेजना है, जहां वे 14 दिन तक कई वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। यह मिशन स्पेसX के Falcon 9 रॉकेट और Dragon कैप्सूल के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
इस मिशन में चार यात्री शामिल होंगे:
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पेगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन कमांडर, पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री
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शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
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स्लावोस उज़नांस्की (यूरोपीय संघ) – पेलोड विशेषज्ञ
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टिबोर कापू (हंगरी) – वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री
क्यों है यह मिशन भारत के लिए महत्वपूर्ण?
भारत के लिए यह मिशन इसलिए अहम है क्योंकि:
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गगनयान मिशन से पहले यह एक व्यावहारिक परीक्षण जैसा अनुभव देगा।
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शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा से भारत को मानव मिशन से जुड़ी तकनीकी और व्यावहारिक जानकारी मिलेगी।
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यह दर्शाता है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान और मानव मिशन की दिशा में मजबूत और सक्रिय भागीदार बन चुका है।
ISRO के अध्यक्ष डॉ वी नारायणन के अनुसार, यह अनुभव गगनयान मिशन के लिए अनमोल साबित होगा।
मिशन की तैयारी और वैज्ञानिक प्रयोग
Axiom-4 मिशन के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सभी अंतरिक्ष यात्री Kennedy Space Center, Florida में क्वारंटीन में हैं। यह टीम ISS में जाकर:
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माइक्रो ग्रैविटी में मानव शरीर की प्रतिक्रिया,
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स्पेस फार्मिंग,
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मांसपेशियों और हड्डियों पर अंतरिक्ष का प्रभाव,
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और अन्य जैविक प्रयोग करेगी।
ये सभी प्रयोग भविष्य के चंद्र और मंगल अभियानों की तैयारी का हिस्सा हैं।
शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उड़ान भारत के अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय जोड़ेगी। 1984 के बाद भारत का कोई भी नागरिक अंतरिक्ष में नहीं गया था। अब लगभग 41 साल बाद, एक भारतीय फाइटर पायलट, टेस्ट पायलट और प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री फिर से भारत का नाम सितारों तक ले जाएगा।
Axiom-4 मिशन न केवल अंतरिक्ष की वैज्ञानिक उपलब्धियों की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।