अफगानिस्तान और Pakistan के बीच तनाव एक बार फिर उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां सशस्त्र टकराव मानवीय संकट में बदल रहा है। अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत और पाकिस्तान के बलूचिस्तान के चगई जिले के बीच स्थित सीमावर्ती कस्बा बहराम चह हाल ही में दोनों देशों के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया है। 3 फरवरी से शुरू हुई ये झड़पें अब पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैला रही हैं।
बहराम चह पर नियंत्रण को लेकर पाकिस्तानी सेना और तालिबान बलों के बीच जारी यह संघर्ष केवल एक सीमा विवाद नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति, रणनीतिक नियंत्रण और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मसला है। जब तक दोनों पक्ष कूटनीतिक वार्ता का रास्ता नहीं अपनाते, तब तक इस संघर्ष का अंत मुश्किल नजर आता है। और इस बीच, इसका सबसे बड़ा नुकसान आम नागरिकों को उठाना पड़ेगा – जो लगातार अपने घर, जमीन और सुरक्षा खो रहे हैं।
संघर्ष की शुरुआत: नई चौकी बना कारण
हालिया संघर्ष तब शुरू हुआ जब तालिबान बलों ने बहराम चह में एक नई सीमा चौकी (चेकपोस्ट) का निर्माण शुरू किया। तालिबान का कहना है कि यह चौकी उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी थी, लेकिन पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने इसे डूरंड लाइन समझौते का उल्लंघन बताया और तुरंत गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में तालिबान ने पाकिस्तानी चेकपोस्ट को निशाना बनाया और मोर्टार दागकर उसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
ढाई लाख लोगों को घर छोड़ने का आदेश
इस संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा स्थानीय आबादी को भुगतना पड़ा है। पाकिस्तान के चगई जिले में रहने वाले करीब ढाई लाख नागरिकों को सरकार ने तत्काल सुरक्षित स्थानों पर जाने का आदेश दिया है। सुरक्षा एजेंसियों को अंदेशा है कि स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है, इसीलिए बड़ी संख्या में लोगों को राहत कैंपों और सुरक्षित इलाकों में भेजा जा रहा है।
वहीं, तालिबान ने भी अपने नागरिकों से इलाका खाली करने को कहा है, जिससे दोनों ओर से भारी मात्रा में लोग विस्थापित हो चुके हैं।
बहराम चह की रणनीतिक अहमियत
बहराम चह चेकपोस्ट न केवल सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि अवैध गतिविधियों के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। यह इलाका नशीले पदार्थों की तस्करी, हथियारों की आवाजाही और विद्रोही संगठनों की आवाजाही का बड़ा केंद्र माना जाता है। इसके अलावा यह चगई और हेलमंद के बीच होने वाली सैन्य और खुफिया गतिविधियों का प्रमुख मार्ग भी है।
इसलिए इसका नष्ट होना पाकिस्तान के लिए सैन्य और सुरक्षा के लिहाज से गंभीर संकट का संकेत है। चेकपोस्ट पर नियंत्रण खोना न सिर्फ सीमा सुरक्षा के लिहाज से नुकसानदेह है, बल्कि इससे आतंकवादी और तस्कर संगठनों को भी बल मिल सकता है।
पाक-अफगान रिश्तों में बढ़ता तनाव
यह संघर्ष ऐसे समय में हो रहा है जब Pakistanऔर अफगानिस्तान के रिश्ते पहले से ही काफी तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान बार-बार तालिबान सरकार पर टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है, वहीं अफगानिस्तान पाकिस्तानी ड्रोन हमलों और सीमा पर “आक्रामक रवैये” को लेकर नाराज रहता है।
डूरंड लाइन, जो ऐतिहासिक रूप से विवादित सीमा है, अक्सर दोनों देशों के बीच संघर्ष का कारण बनती रही है। हालांकि तालिबान सरकार डूरंड लाइन को आधिकारिक सीमा नहीं मानती, पाकिस्तान इसे एक वैध अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है। यही असहमति लगातार सीमा पर तनाव का कारण बनती है।
आगे क्या?
इस क्षेत्रीय संघर्ष से न केवल दोनों देशों के बीच की राजनीतिक और कूटनीतिक स्थिति और अधिक बिगड़ेगी, बल्कि यह दक्षिण एशिया में सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही संवाद की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो यह विवाद आतंकी संगठनों और तस्कर नेटवर्कों के लिए अवसर बन सकता है