केरल में इस वर्ष Monsoonने सामान्य समय से आठ दिन पहले, 24 मई को दस्तक दी है, जो पिछले 16 वर्षों में पहली बार हुआ है। आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है, लेकिन इस बार यह मई के अंत में ही आ गया है। इस असामान्य शुरुआत के कारण केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने तिरुवनंतपुरम में रेड अलर्ट और अन्य जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
इस Monsoon ने समय से इतने पहले आकर सबको चौंका दिया है। मौसम विभाग (IMD) ने पहले 27 मई के आसपास मानसून के केरल में पहुंचने का अनुमान लगाया था, लेकिन मानसून 3 दिन और पहले आ गया।
कब आता है Monsoon?
केरल में Monsoon सामान्यत: 1 जून तक आता है। आखिरी बार केरल में सबसे पहले 2001 और 2009 में मानसून इतनी जल्दी पहुंचा था। तब मानसून ने 23 मई को ही केरल में एंट्री मार दी थी। वहीं साल 1918 में मानसून अब तक सबसे पहले पहुंचा था। उस साल 11 मई को ही Monsoon केरल पहुंच गया था। वहीं 1972 में मानसून सबसे लेट पहुंचा था। इस साल 18 दिन की देरी से 18 जून को मानसून ने दस्तक दी थी।
2015, 16 और 19 में आया था देरी से
पुरानी लिस्ट से पता चलता है कि मानसून कुछ सालों (जैसे 2018, 2022 और 2024) में जल्दी आया है। इसके अलावा 2015, 2016 और 2019 में देरी से आया है। देश भर में खरीफ फसल चक्र और जल भंडारण स्तरों पर सीधे प्रभाव के कारण मौसम वैज्ञानिक, किसान और नीति निर्माता इन बदलावों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
मुख्य बातें-
- इस साल केरल में 8 दिन पहले मानसून ने दस्तक दी है।
- 16 साल बाद ये रिकॉर्ड बना है।
- कई राज्यों में बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने देश के विभिन्न हिस्सों में भी मौसम से संबंधित अलर्ट जारी किए हैं:
- गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र: इन क्षेत्रों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है, साथ ही तेज हवाएं और तूफान की संभावना भी जताई गई है।
दिल्ली-एनसीआर: यहां आंधी चलने की संभावना है, जिससे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। - उत्तर प्रदेश और बिहार: इन राज्यों में तापमान बढ़ने की संभावना है, जिससे गर्मी का प्रकोप और अधिक महसूस होगा।
- उत्तराखंड: यहां मौसम विभाग ने आंधी और बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
- झारखंड: यहां भी आंधी-तूफान और बारिश के संकेत मिले हैं। आज तक केरल में मानसून की जल्दी शुरुआत से देश के अन्य हिस्सों में भी समय पर वर्षा की उम्मीद बढ़ गई है, जो कृषि और जल स्रोतों के लिए फायदेमंद हो सकती है
क्या यह प्री-मानसून है?
अभी भारत के कई हिस्सों में जो बारिश और तूफानी गतिविधियाँ देखी जा रही हैं, वे मुख्य रूप से प्री-मानसून (Pre-Monsoon) की बारिश मानी जा रही हैं। प्री-मानसून वर्षा हर साल गर्मियों के अंतिम चरण यानी अप्रैल के अंत से मई के अंत तक होती है, जब वातावरण में अधिक गर्मी और नमी के कारण अस्थिर मौसम बनता है। इस दौरान आंधी, तेज हवाएं, बिजली गिरना और छिटपुट बारिश आम बात होती है। हालांकि, इस वर्ष केरल में मानसून ने 24 मई को समय से पहले दस्तक दी है, जिससे वहां अब मुख्य दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत के अन्य राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि में जो वर्षा हो रही है, वह अभी भी प्री-मानसून चरण में ही आती है। जब तक मानसून इन क्षेत्रों में आधिकारिक रूप से प्रवेश नहीं करता, तब तक इसे पूर्ण मानसून नहीं माना जाता।
छत्तीसगढ़ में प्री-मानसून!
दक्षिण-पश्चिम Monsoon ने भारतीय उपमहाद्वीप में दस्तक दे दी है. इसका असर अब छत्तीसगढ़ में भी दिखने लगा है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं, सक्रिय चक्रीय परिसंचरण और मौसमी द्रोणिकाएं मिलकर राज्य में बारिश की गतिविधियों को बढ़ा रही हैं. मौसम विभाग ने अगले एक सप्ताह तक गरज-चमक, तेज हवाएं और मध्यम से भारी बारिश की संभावना जताई है. तापमान में गिरावट से लोगों को गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है. सरगुजा और बस्तर संभागों में व्यापक बारिश की संभावना है, जबकि रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में भी छिटपुट बारिश हो सकती है.