नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे लंबे संघर्ष को लेकर कूटनीति में एक बड़ा कदम उठाया गया है। हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई लगभग दो घंटे की फोन बातचीत ने शांति वार्ता की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। यह वार्ता अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत मानी जा रही है कि शायद युद्ध विराम की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता खुल सकता है।
बातचीत में क्या हुआ?
इस गंभीर और विस्तृत चर्चा में, ट्रंप ने वेटिकन सिटी को एक तटस्थ वार्ता स्थल के रूप में प्रस्तावित किया है, जहाँ दोनों पक्ष युद्धविराम पर बातचीत कर सकते हैं। ट्रंप ने जोर दिया कि दोनों पक्षों को बिना किसी शर्त के युद्ध विराम स्वीकार करना चाहिए ताकि रक्तपात को रोका जा सके।
दूसरी ओर, पुतिन ने फिलहाल बिना शर्त युद्धविराम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, लेकिन शांति वार्ता शुरू करने के लिए सैद्धांतिक सहमति ज़रूर जताई है। पुतिन ने कुछ शर्तें भी रखी हैं जिनमें यूक्रेन के सैन्य निरस्त्रीकरण और पश्चिमी देशों के सैन्य समर्थन में कटौती शामिल हैं।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस वार्ता पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य शांति कायम करना है, लेकिन किसी भी क्षेत्रीय रियायत को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने रूस पर और कड़े आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है ताकि युद्ध को रोका जा सके।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह वार्ता शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन अभी कई बाधाएं हैं। रूस अपनी रणनीतिक और क्षेत्रीय मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं है, जबकि यूक्रेन भी अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी समझौते से पहले कड़े कदम उठाने को तैयार है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वेटिकन सिटी, जिनेवा या इस्तांबुल जैसे तटस्थ शहरों में संभावित शांति वार्ता जल्द शुरू हो सकती है, लेकिन युद्ध विराम तक पहुंचने का रास्ता अभी लंबा और जटिल है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
अमेरिका, यूरोपीय संघ, और अन्य वैश्विक शक्तियां इस वार्ता को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी शांति प्रयासों को बढ़ावा देने का समर्थन किया है और सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।