@छत्तीसगढ़ लोकदर्शन, रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर से लगे खरोरा से बेहद परेशान और इंसानियत पर सवाल खड़ा कर देने वाला मामला सामने आया है. खरोरा के विकास तिवारी के मशरुम फार्म में 97 मजदूरों और उनके 40 बच्चों को 6 महीनों से बंधक बनाकर बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी. महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को लिखित शिकायत मिली थी. इसके बाद इन सभी मजदूरों का रेस्क्यू कर रायपुर लाया गया.
ये सभी मजदूर उड़ीसा, झारखंड और उत्तरप्रदेश से रायपुर में काम के लिए आए हुए थे. कई महींनों से खरोरा में विकास तिवारी के मशरुम फार्म में काम में लगे हुए थे. पहले दिन से मजदूर शाम को उनकी दिहाड़ी के पैसे की मांग करते थे. पैसों की मांग करने पर उन्हें धमकाया जाता था। मजदूरों के मोबाइल भी छीन लिए गए थे. जिससे वे लोग किसी से संपर्क ना कर सकें.
पैसों की जगह मिली केवल मार
एक मजदूर ने बातचीत में बताया कि बीते पांच महीनों से वह मशरुम फार्म में काम कर रहा था. लेकिन जब वह मालिक से पैसे की मांग करता तो उन्हें मारा जाता था. एक बंद कमरे में मजदूरों को इकट्ठा कर पिटाई की जाती थी. खाने के लिए भी भीख मांगना पड़ता था. खाना भी खाने नहीं मिलता था. बच्चों को भी मारा जाता था.
प्रेग्नेंट महिला को भी मिली यातनाएं
एक प्रेगनेंट महिला मजदूर ने बताया कि बहुत दिनों से हम यहां काम कर रहे थे. मैं गर्भवति हूं. लेकिन फिर भी मेरे साथ मारपीट की जाती थी. पैसे नहीं मिलते थे. खाने के लिए भी कुछ नहीं मिलता था. हम उत्तरप्रदेश से यहां काम करने आए थे. काम मिला. लेकिन पैसों की जगह मारपीट की जाती थी. मेरे मोबाइल को भी मालिक ने ले लिया था. घर परिवार में भी हम लोग बातचीत नहीं कर पा रहे थे. दुधमुहे बच्चों को नशीली दवा चटा दी जाती थी. जिससे बच्चे देर तक सोते रहें और उनकी मां काम करते रहे.
महिलाओं के शोषण का भी मामला
मजदूरों ने बताया कि महिलाओं के साथ भी बंद कमरे में ले जाकर मारपीट की जाती थी. उनका शारीरिक शोषण किया जा रहा था. कई महिलाएं गर्भवती भी हैं. कई को बच्चे भी हो चुके हैं. बंद कमरे में महिलाओं के साथ गंदी हरकते की जाती थीं और उन्हें धमकाया जाता था.
छापा मारकर किया गया रेस्क्यू
इस मामले को लेकर महिला बाल विकास अधिकारी शैल ठाकुर ने बताया कि एक लिखित शिकायत मिली थी कि एक मशरुम फार्म में मजदूरों को बंधक बनाया गया है. और उनसे काम कराया जा रहा है. उन्हें पेमेंट भी नहीं दी जा रही है. इस पर हम लोगों ने छापा मारा और सभी लोगों का रेस्क्यू कर रायपुर लाया गया है. यहां इनकी काउंसलिंग की जा रही है.
क्यों छुपाया जा रहा है मामला..?
मिडिया ने अधिकारी से पूछा कि अगर इनको रेस्क्यू कर लाया गया है तो इन्हें छुपाया क्यों जा रहा था और आपके सामने पैसा बांटने वाला व्यक्ति कौन था. उन्होंने जवाब दिया कि पैसे बांटने वाला व्यक्ति ठेकेदार है. जो इनसे काम करा रहा था. उसे हमने बुलाया था. किसी को छुपाया नहीं जा रहा था. काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही थी. इसलिए किसी को अंदर नहीं आने दिया जा रहा है. हम नियमों के अनुसार कार्रवाई करेंगे.
मामले को दबाने की कोशिश
इस मामले को लगातार दबाने की कोशिश की जा रही है। इस घटना को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. अधिकारियों का कहना है कि कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल है कब? बंद इंडोर स्टेडियम के भीतर मालिक और मजदूरों के बीच समझौता कराया जा रहा था. इतना ही नहीं जब हम मिडिया के लोगअंदर पहुंचे तो ठेकेदार मजदूरों को पैसा बांट रहा था. अधिकारी चुपचाप तमाशा देख रहे थे. ठेकेदार ने पूछने पर भी ना अपना परिचय बताया। ना ही पैसा बांटने की वजह बताई. वह लगातार लिस्ट में लिखे मुताबिक मजदूरों को पैसे बांटता रहा. ज्यादा पूछताछ करने पर ठेकेदार उस जगह से फरार हो गया.
सवाल यह है कि अगर वह आरोपी था तो इतने बड़े मामले में फौरन कार्रवाई क्यों नहीं की गई. सूत्रों के अनुसार मशरुम फार्म का संचालक उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. उसे रायपुर के बड़े प्रभावशील अधिकारियों को संरक्षण मिला हुआ है. इसलिए इतने दिनों से इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. सवाल यह भी है कि क्या मामले में कुछ होता है या इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है?